lalkitab remedies
मंदिर के लिए जब भगवान की प्रतिमा बनवाई जाती है तो उसकी प्रतिष्ठा भी शुभ मुहूर्त देखकर ही की जाती है। मंदिर में प्रतिमा की प्रतिष्ठा के लिए शुभ मुहूर्त इस प्रकार हैं-
शुभ वार- देव प्रतिष्ठा मुहूर्त के लिए सोमवार, बुधवार, गुरुवार, शुक्रवार, शुभ हैं।
शुभ तिथि- शुक्लपक्ष की 1, 2, 5,10, 13, 15 वीं तिथि शुभ हैं। मतांतर से कृष्णपक्ष 1, 2, 5वीं तिथि भी शुभ मानी गई है।
शुभ नक्षत्र- पुष्य, उत्तराफाल्गुनी, उत्तराषाढ़ा, उत्तराभाद्रपद, हस्त, रेवती, रोहिणी, अश्विनी, मूला, श्रवण, धनिष्ठा व पुनर्वसु नक्षत्र शुभ हैं। इसके अतिरिक्त उत्तरायण के सूर्य में गुरु, शुक्र और मंगल भी बली होना चाहिए।
लग्न शुद्धि- स्थिर व द्विस्वभाव लग्न हो केंद्र व त्रिकोण में शुभ ग्रह एवं 3,6,11वें पाप ग्रह हों। अष्टम में कोई पाप ग्रह हो।
देवशयन, मलमास, गुरु-शुक्र अस्त व निर्बल चंद्र कदापि नहीं होना चाहिए। शिवलिंग स्थापना के लिए शिववास भी देखना शुभ होता है।
मंदिर के लिए जब भगवान की प्रतिमा बनवाई जाती है तो उसकी प्रतिष्ठा भी शुभ मुहूर्त देखकर ही की जाती है। मंदिर में प्रतिमा की प्रतिष्ठा के लिए शुभ मुहूर्त इस प्रकार हैं-
शुभ वार- देव प्रतिष्ठा मुहूर्त के लिए सोमवार, बुधवार, गुरुवार, शुक्रवार, शुभ हैं।
शुभ तिथि- शुक्लपक्ष की 1, 2, 5,10, 13, 15 वीं तिथि शुभ हैं। मतांतर से कृष्णपक्ष 1, 2, 5वीं तिथि भी शुभ मानी गई है।
शुभ नक्षत्र- पुष्य, उत्तराफाल्गुनी, उत्तराषाढ़ा, उत्तराभाद्रपद, हस्त, रेवती, रोहिणी, अश्विनी, मूला, श्रवण, धनिष्ठा व पुनर्वसु नक्षत्र शुभ हैं। इसके अतिरिक्त उत्तरायण के सूर्य में गुरु, शुक्र और मंगल भी बली होना चाहिए।
लग्न शुद्धि- स्थिर व द्विस्वभाव लग्न हो केंद्र व त्रिकोण में शुभ ग्रह एवं 3,6,11वें पाप ग्रह हों। अष्टम में कोई पाप ग्रह हो।
देवशयन, मलमास, गुरु-शुक्र अस्त व निर्बल चंद्र कदापि नहीं होना चाहिए। शिवलिंग स्थापना के लिए शिववास भी देखना शुभ होता है।
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