Monday, August 4, 2008

सावधानियां (परिवारिक सुख)

1. अपने भोजन से गाय, कौवे, कुत्ते के तीन हिस्से अलग निकाल कर रखे। 2. जिस जगह भोजन बना, उसी जगह बैठ कर भोजन करना राहु की शरारतों से बचाता है। 3. हर मास घर के सदस्यों की गिनती के बराबर घर आये मेहमानों की गिनती की औसत कुछ अतिरिक्त (२-४) मिट्टी रोटियां बना कर जानवरों का डाल दें विशेष ध्यान दे कि गिनती कम न हो वनज, आकार चाहे छोटा हो जाए। 4. रात्रि को सोने समय chaarpai के नीचे थोड़ा सा पानी किसी बर्तन में रखे सुबह ऐसी जग डालें जहां उस का अपमान न हो। विशेष - उस पानी से अपना मुंह, हाथ या अन्य जगह साफ न करो। राहु की शरारतों झगड़ा फसाद, अपमान, बीमारी आदि से बचाव होगा। 5. इंसान स्वभाव ग्रहचाल के अनुसार होता है पर जिद से उलट चलने वाले की हानि होगी। संतान सम्बन्धी. 6. No Eating On The Bed. 7. Discarding old useless things from Home. 8. Not insulting one's elders and parents.

धन बचत और ऋण वसूल करने हेतु उपाय

ऐसे बहुत से लोग होते हैं जिनकी आय अच्छी होने के बावजूद वह धन संचय नहीं कर पाते तो उसके लिए शुक्ल पक्ष के मंगलवार के दिन १ लाल गुलाब का फूल, २ लाल चन्दन और रूई लेकर इन सब चीजों का एक लाल कपड़े में बांधकर अपनी तिजौरी या सेफ में रखें।ऐसा विधिपूर्वक करने से धन की बचत होने लगेगी तथा आर्थिक स्थिति में सुधार भी आएगा।६ माह के पश्चात् पहले रखी गई सामग्री को बदल कर नई सामग्री रखें। जिन लोगों की अच्छी आय होने पर वह भविष्ता के लिए धन संचय नहीं कर पाते तो उसके लिए उन्हें किसी पात्र में मंगलवार के दिन लाल चंदन का बुरादा तिजौरी या सेफ में रखने से बचत होनी आरंभ हो जाएगी।इस उपाय को वर्ष में दो बार करें। बचत करने के लिए किसी लोहे के पात्र में शहद भरकर तथा उसमें चांदी का चौकोर टुकड़ा डालकर रखने से धन की बचत होती है। ऋण वसूल करने के लिए यदि आप ने किसी को उधार दिया है तो और वह व्यक्ति आप का धन धन वापिस नहीं कर रहा तो उसके लिए बेड़ की संख्या के बराबर लौंग लेकर, कच्चे कोयले की आग में जलाएं तथा जब तक धुंआ निकलना बंद ना हो जाए तब तक तब तक वहीं पर ही खड़े होकर देनदार व्यक्ति का ध्यान लगाएं ऐसा करने से डूबा हुआ धन वापिस मिल जाता है।

व्यापार वृद्वि अथवा नया व्यवसाय शुरू करने हेतु उपाय

यदि आप अपने पुराने व्यवसाय के साथ कोई अन्य व्यवसाय शुरू करना चाहते हैं तो पुराने कारोबार में प्रयोग में में लाई जाने वाली वस्तुएं नए व्यवसाय के स्थान पर रखने से धन का लाभ होगा और काम में उन्नति मिलती है। यदि आप नौकरी के लिए इन्टरव्यु पर जाते हैं या कारोबार के सिलसिले में यात्रा पर जाते हैं तो घर से निकालने से पहले थोड़ा सा मीठा खाकर निकलें और साथ में आधा लीटर दूध मन्दिर में रखकर जाने से किसी भी कार्य में विध्न-बाधाएं नहीं आयेंगी। यदि आपको व्यापार आदि में घाटा होता है तो काले घोड़े की नाल लाकर दुकान के प्रवेश द्वार पर इस प्रकार लगाएं कि प्रत्येक ग्राहक की नजर उस पर पड़े।इससे आप के व्यापार में वृद्वि होगी। जिस व्यक्ति की दुकान या फैक्टरी न चल रही हो और कार्य को बांधे हुए की आशंका हो तो शुक्रवार के दिन फूल से कच्चे दूध का छिड़काव हर कमरे के चारों कोनों में करने से व्यापार में वृद्वि होगी। शुक्रवार के दिन- दिन छुपने के बाद सात सफेद बर्फी के टुकड़े लेकर नदी या पार्क के किनारे रखने से बिक्री में बढोतरी होगी। यदि आप स्वतन्त्र व्यवसायी हैं जैसे डाक्टर, कन्सलटेन्ट, चार्टर्ड एकााउन्टेन्ट, वकील या किसी भी तरह का कोई व्यवसाय करते हैं तो हर बृहस्पतिवार को गणेश जी पूजा करें और गणेश स्तुति या गणेश स्त्रोत का पाठ करें। पीले लडुआें का भोग लगाकर पानी वाला नारियल चढ़ाने से आय में वृद्वि होगी और अपने गल्ले में भोज पत्र भी रखें। सरकारी नौकरी में उन्नति और स्थायी रूप से बनी रहे इसके लिए बुधवार को पीपल की जड़ पर जल चढ़ाएं।

लम्बी बीमारी से छुटकारा पाने के लिए उपाय

जिस व्यकित को लम्बे समय से कोई बीमारी हो या एक बीमारी समाप्त होने के बाद कोई दूसरी बीमारी से ग्रस्त हो जाता हो और बहुत कोशिश करने के बाद भी बीमारी से छुटकारा नहीं मिलता है तो इसके लिए यह उपाय करें- १. लम्बी बीमारी से छुटकारा पाने के लिए शनिवार की रात को बेसन या मकई की रोटी बनाकर तथा सरसों के तेल से चुपड़कर रोगी के सिर से सात बार वारकर (उतारकर) रोटी काले कुत्ते को खिलाएं।ऐसा करने से रोगी की तबीयत में सुधार होता है तथा लम्बे समय से चली आ रही बीमारी से मुक्ति मिल जाती है। २. घर के सभी सदस्यों एंव घर में आए हुए मेहमानों की संख्या के बराबर मीठी रोटियॉ बनाकर महीने में एक बार कुत्तों एंव कौआ को डालें। ३. एक बड़ा सा सीताफल लें जो अंदर से पूरी तरह से पका हो एंव खोखला हो उसे महीने में एक बार धर्मस्थान में देने से बीमारी ठीक हो जाती है। ४. यदि किसी भी प्रकार से रोगी की तबीयत में सुधार ना होता हो तो ४३ दिन लगातार रात के समय २ तांबे के सिक्के अपने सिरहाने रखकर सोएं और प््राात: काल वह पैसे किसी भंगी को दे दें। ५. कभी भी कब्रिस्तान या शमशान घाट से गुजरते समय वहां पर कुछ पैसे गिरा दें। यह एक गुप्त सहायता होती है।

यात्रा

विदेशय यात्रा 1. केतु न. 12 हो तो विदेश या अन्य यात्राएं अधिक करनी पड़ती हैं। 2. राहु न. 6 में और न. 12 में जब राहु के शत्रु ग्रह शुक्र, मंगल और सुर्य आ जाये तब विदेश यात्रा का योग बनता है। 3. शनि न. 12 के समय भी विदेश यात्रा का योग बन्ता है। यात्रा हवाई - बृहस्पति से, समुद्री - चन्द्र से, खुश्की - शुक्र से देखी जाती है। सामान्य यात्रा, तबदीली केतु से देखी जाती है। केतु न. 1 - यदि केतु न. 1 हो वर्षफल के अनुसार तो यात्रा के लिए, बिस्तर बंध है, आदेश हो चुका है, परन्तु अन्त में यात्रा नहीं होगी, यदि होगी तो वापिस आना पड़ेगा, न. 2 - उन्नति पाकर यात्रा होगी, होगी तो दोनों बाते हागी नही तो एक भी नहीं होगी। जबकि न. 8 मन्दा न हो। न. 3 - भाई बन्धुऔं से दूर परदेश का जीवन बिताना पड़ेगा जबकि न. 9 खाली हो। न. 4 - यद्यपि यात्रा नहीं होगी, यदि होती तो जहां माता रह रही है वहा तक की हागी, स्थान का परिवर्तन और मन्दी यात्रा नहीं होगी जब कि न. 10 ठीक हो। न.5 - स्थान या नगर का परिवर्तन तो कभी देखा नहीं गया विभाग के अन्दर उसी शहर में किसी दूसरे कमरे बैठना पड़ जायें, यह परिवर्तन मन्दा नहीं होगा, यदि बृहस्पति नेक हो। न.6 - यात्रा का आदेश जारी होकर एक बार तो अवश्य रद्य होगा जबकि न. 12 में कोई न कोई ग्रह अवश्य बैठा हो। न.7 - जद्यी घर - बार की यात्रा अवश्य होगी, उन्नति की शर्त नहीं , जातक यदि आप न जाये तो बीमार होकर जाना पड़े, नगर का परिवत्रन जरूर होगा परिणाम ठीक होगा, न. १ ठीक होना चाहिए कोई नीच ग्रह न. 1 का मन्दा न कर रहा हो। न.8 - विशेष प्रसन्नता की यात्रा नहीं होगी, इच्छा के विरूद्ध मन्दी यात्रा होगी, यदि न. 11 में केतु का शत्रु चंद्र, मंगल न हों केतु की इस मन्दी हवा का असर केतु की चीजें (पुत्र, कान, राठी की हड्डी, जोड़ो का दर्द) पर भी हो सकता है। उससे बचाव के लिए चन्द्र का उपाय जरूरी। उपाय :मन्दिर में या कुत्तों का 15 दिन दूध देता रहे। न.9- अपनी इच्छा से प्रसन्नता से अपनी जद्यी घर बार की यात्रा होगी परिणाम ठीक होंगे, जबकि न. ३ का बुरा प्रभाव पड़ रहा हो। न. 10 - यात्रा बिना सम की होगी, शनि शुभ तो दो गुणा लाभ अशुभ तो हानि, न. ८ मन्दा तो अवश्य मन्दा यहां न. २ के ग्रह सहायक होंगें। न. 11 - यात्रा का ओदश बड़े अधिकारी से चलकर नीचे तक पहुच नहीं सकेगा दिखावटी हिल जुल होगी। न. 12 - अपने परिवार के साथ सुख से रहने का समय होगा, उन्नति अवश्य शर्तन नहीं यदि यात्रा करनी भी पड़ जायें जो लाभ दायेक होगी जबकि न. 2, 6 शुभ हो।

विशेष योग

1. सूर्य, शनि के साथ यदि शुक्र, केतु, चन्द्र तो क्रमश: स्त्री, पुत्र, माता, कष्ट में होने की सम्भावना। 2. सूर्य मंगल के साथ यदि शुक्र, केतु, चन्द्र तो क्रमश: स्त्री, पुत्र माता, पिता (बालक की २२ -२४) वर्ष आयु में बीमार 3. शुक्र 3, सूर्य, चन्द्र, केतु 9 तो किसी स्त्री के माध्यम से 22 से 24 वर्ष आयु मेें विदेश यात्रा का निमंत्रण प्राप्त होगा। 4. चन्द्र केतु दोनों साथ हो तो माता पुत्र दोनों कष्ट में, 5. केतु न. 4, राहु न. 10 तो सन्तान 34 - 42 वर्ष आयु में यदि पहिले हो तो वह अपना बीज नहीं। 6. बृहस्पति 6 तो पिता को सांसा की बीमारी (दमा नहीं) सोना खो जाये। 7. बुध 2 तो घर में सूत निवार के गोले पड़े होते हैं उनकी खोल दें क्योंकि भाग्य उनमे लिपटा हुआ है। 8. चन्द्र 6 तो माता को कष्ट, सन्तान के लिए खरगोश पाले, मर जाये तो दूसरा ले आये। 9. बृहस्पति 7 तो पिता से कम पटती है अत: मूगां धारण करे। 10. शुक्र केतु और 5वां घर मन्दा तो सन्तान के लिए खरगोश पाले, मर जाये तो दूसरा ले आये। 11. शुक्र केतु यदि विवाह न करवाये तो अन्धा हो जावे। वर्षफल के अनुसार जब न. 8 का ग्रह न. 2 में आता है तो भाग्योदय होता है। बृहस्पति जब न. 1, 4,9 में आते है तो विशष खुशी देते हैं। अकेला शुक्र जब न. 2,4,7 में होगा, तो जातक की कई पत्नीयां होगी और जीवीत होगी। 12. सूर्य शुक्र तो स्त्री बीमार खून की बीमारी, आप्रेशन से मृत्यु, पुत्र 2, अकेला बुध जब 1,5,9,12 में हो तो एक ही स्त्री होगी सन्तान हो या न हो। 13. मंगल न. 6 तो चाचे दो, भाई दो 14. शुक्र न. 2 तो ससुराल के लिए निकम्मा 15. केतु 9 तो मामा नानकों पर भारी 16. शनि और चन्द्र को टकराव आने पर आंखो का आप्रेशन 17. शनि, बृहस्पति के मिलने पर मकान बने परन्तु अपनी स्त्री नाराज 18. राहु 5 तो सन्तान पर बिजली का काम करे, (वर्षफल के अनुसार 8 वें घर में केतु हो तो पुत्र पर, 8 वें घर में बुध हो तो पुत्री पर) 19. सूर्य 6, बुध 12 तो हाई ब्लड प्रेशर 20. सूर्य 6, शनि 12 तो पत्नी की मृत्यु 21. शुक्र 3 तो अपना मकान न बनाये, यदि बनायेगा तो उजड़ जायेगा। 22. शुक्र तो विधवा स्त्री से प्यार बर्बादी का कारण बनेगा। 23. शुक्र न. 7 भाग्योदय विवाह के बाद 24. जब बृहस्पति और शुक्र 1, 7 में आते है तो विवाह का योग बनता है, विवाह के बाद जब वे उन घरों में आते है तो भी शुभ फल देते है बृहस्पति अवश्य देते है शुक्र दे या न दे। 25. यदि मिथुन लग्न की कुण्डली है और लग्न का स्वामी (बुध) नं. 11 में हो और बुध के साथ सूर्य हो और बृहस्पति की दृष्टि लग्न पर पड़ रही हो तो जातक को प्रत्येक कार्य सफलता प्राप्त होती रहती है। 26. यदि मिथुन लग्न की कुण्डली है और लग्न का स्वामी (बुध) नं. 11 में हो और बुध के साथ सूर्य हो और बृहस्पति की दृष्टि लग्न पर पड़ रही हो तो जातक को प्रत्येक कार्य में सफलता प्राप्त होती रहती है। 27. लग्न तुला हो, लग्नेश और पंचमेश की युति हो रही हो तो भी जातक को ज्योतिश में रूचि होती है। 28. कुण्डली में जब धनु के चन्द्र, और कर्क के बृहस्पति हो तो जातक उच्च कोटि का साहित्यकार होता है। 29. कुम्भ लग्न में मंगल और शुक्र दोनों स्थित हो तो जातक अत्यधिक कामी होता है। व्यभिचार के कारण उसे जेल तक जाना पड़ सकता है। 30. नं. 5 में मंगल, केतु या सूर्य हो तो जातक का पुत्र उसकी प्रतिष्ठाा को धब्बा लगाने वाला होता है। 31. वृि चक लग्न हो, लग्न में सूर्य और लग्नेश (मंगल) नं. २ में हो, बुध साथ हो तो जातक युवावस्था में ही पागल हो जाता है। कारागार में जीवन व्यतीत करे। 32. मीन लग्न हो, लग्न में मंगल हो तो कुण्डली मिलाये बिना विवाह मत करें। यदि करेगा तो छ: माह में तलाक हो जायेंगा। 33. खाना नं. 9 में नीच का शनि हो और नं. 12 में कर्क राशि का मंगल हो अथवा इनके साथ साथ नं. 10 में राहु हो तो जातक का पिता निर्धन हो जाता है। जातक को भी कठिनाई से जीवनयापन करना पड़ता है। 34. यदि तीसरे घर का स्वामी 1 से 5 हो तो प्रथम सन्तान को हानि करता है। 35. शनि नं. 3 हो तो जातक की रोटी अच्छी परन्तु नकद धन की कमी रहती है। 36. यदि कुण्डली में जातक की कुण्डली कर्क लग्न की हो, अर्थात पहिले घर का अंक हो दूसरा घर में राहू, आठवें घर में बुध हो और नौंवें घर में सूर्य हो तो जातक एक प्रतिष्ठित ज्योतिषी बनता है। 37. जिस जातक का जन्म13 अप्रैल से 23 अप्रैल के बीच होता है वह अन्यों की अपेक्षा कुछ विशेष व्यक्ति ही होता है। अत: इन दिनों सूर्य उच्च का होता है उसके अंशा भी ठीक होते हैं। 38. राहु नीच या उन घरों में जहां व नीच प्रभाव देता है। या बुध और राहु 3,8,9,12 में हो और शनि न. 2 हो तो ऐसा जातक विवाह के बाद अपने ससुर को बर्बाद कर देता है। 39. सुर्य 4, मंगल 10 तो एक आंख से काणा। 40. बृहस्पति और शुक्र कामाग्नि अधिक; चन्द्र और बृहस्पति न. 11 माता. नानी, दादी सास, बड़ा, भाई, तया, पेट दर्द की बीमारी के कष्ट में जीवन यापन करेंगें। 41. सुर्य और शुक्र इकट्ठे या सूर्य और शनि का दृष्टि के अनुसार टकराव, सूर्य शुक्र और बुध इकट्ठे तो बिना समय तलाक, जुदाई, चाल चलन की बदनामी सच्ची या झूठी प्राय: अवश्य होती है। 7 में आता है तो विवाह का योग बनता है।

वर्जित दान (ग्रहानुसार)

ग्रह किसी जातक का उच्च का अपने घर का हो उस ग्रह की वस्तुओं का दान उस जातक को नहीं करना चाहिए। मान लो किसी जातक का चन्द्र नं. 2, 4 है तो उसे दूध, चावल, चांदी या मोती का दान कभी नहीं करना चाहिए। इसी प्रकार किसी का मंगल् श्रेष्ठ यानि उच्च हो तो उसे मिठाई का दान नहीं करना चाहिए। किसी का सूर्य उच्च का हो उसे गुड या गेहूं का दान नहीं करना चाहिए। बुध श्रेष्ठ वाले को मूंग साबूत, हरा कपड़ा, कलम, फूल, मशरूम (खुम्ब) तथा घड़ा आदि का दान नहीं करना चाहिए। इसी प्रकार बृहस्पति उच्च में सोना, पीली वस्तु, पुस्तक; शुक्र उच्च वाले को सिले हुए कपड़े और शनि उच्च वाले को शराब, मांस, अण्डा, तेल या लोहे का दान नहीं करना चाहिए। इसी प्रकार यदि ये ग्रह अशुभ या नीच पड़े हो तो इन ग्रहों की वस्तुओं का दान या मुफ्त में, नहीं लेना चाहिए। मन्दिर जाना वर्जित जब किसी जातक का दूसरा घर नं. 2 खाली हो और उसके आठवें घर में पापी ग्रह विशेष रूप से शनि आ बैठे तो उस जातक को मन्दिर नहीं जाना चाहिए। बाहर से ही अपने इष्टदेव को नमस्कार कर देना चाहिए। नं. 6, 8,12 में शत्रु ग्रह बैठे हो और नं. 2 खाली हो तब भी जातक के लिए मन्दिर जाना वर्जित है। 1. चन्द्र न. 6 वाला व्यक्ति यदि दूध या पानी का दान करे या कुआं, नल, तालाब लगवाये या उनकी मरम्मत करवाये तो दिन प्रतिदिन उस का परिवार घटता रहेगा, मृत्यु सर पर मड़राती रहेगी। (शमशान/अस्पताल में नल का कोई वहम नहीं)। 2. शनि 8 वाला व्यक्ति यदि सराय, धर्मशाला, यात्री निवास बनाये तो आप बेघर और निर्धन हो जाये। 3. शनि न. 1 बृहस्पति न. 5 भिखारी को यदि ताम्बें का पैसा या ताम्बे का बर्तन दे तो सन्तान नष्ट हो। 4. बृहस्पति 10 चन्द्र 4 यदि पूजा स्थान बनवाये तो झुठे आरोपों में फांसी तक पा सकता है। 5. शुक्र 9 वाला व्यक्ति यदि अनाथ बच्चों को गोद लेले या उन्हे आने पास रखे तो उसकी मिट्टी खराब। 6. चन्द्र न. 12 वाला यदि धर्मात्मा या साधु को प्रतिदिन रोटी खिलाये, दूध पिलाये, या बच्चों को निशुल्क शिक्षा का प्रबन्ध करे या स्कूल पाठशाला आदि खोले तो ऐसा कष्ट पायेगा कि अन्त समय कोई पानी तक देने वाला नहीं होगा। 7. बृहस्पति 7 वाला व्यक्ति किसी को वस्त्र दान न करे यदि करेगा तो आप र्निवस्त्र हो जायेगा। 8. सुर्य 7, 8 सुबह शाम का दान जहर बराबर।

गर्भपात

1. मंगल और बुध (राहु स्वभाव) नीच घरों में होने के कारण सन्तान को पेट में ही नष्ट कर देते हैं। 2. राहु 5 भी गर्भपात करवा देता हैं यदि शत्रु ग्रहों से नीच हो रहा हो 3. चन्द्र और केतु न. 5 तो नर सन्तान, राहु न. 11 तो लड़कियां यदि शनि नीच या न.6 न हो। 4. राहु न. 9 तो 42 वर्ष आयु तक केवल एक पुत्र कायम, अधिक से अधिक 21 5. राहु 5, चन्द्र और सूर्य साथ साथी, या न. ४ या ६ में, शनि न. ७ तो पुत्र अवश्य होगा बशर्ते कि वर्ष फल में राहु न. 11 में न हो। 6. नपुंसक पुरूश और स्त्री का योग नपुंसक शनि न. 7 शुक्र न. 2 चन्द्र न. 1 बुध न.6 शुक्र न. 5 मंगल का साथ न हो सूर्य न. 4 बृहस्पति शनि का साधन है शनि न. 7 न. 8 खाली हो मंगल न. 4

सन्तान का जन्म

1. शुक्र, मंगल, बुध, केतु न. 1 वर्षफल में तथा शनि को साथ हो तो 2. न. 1, 5 में नर ग्रह, न.2 में चन्द्र या मंगल, केतु न. 11। 3. बुध (कन्या) या केतु (पुत्र) - उनमें से जो अच्छी स्थिति में होगा वैसा ही सन्तान होगी। 4. केंतु कायम (पूर्ण रूप से श्रेष्ठ) तो पुत्र, राहु कायम (पूर्ण रूप से श्रेष्ठ) तो पुत्री। 5. चन्द्र न. 6 तो कन्याएं अधिक और यदि केतु न. 4 तो पुत्र। विशेष :- 1. वर्ष फल के अनुसार चन्द्र नष्ट तो सन्तान अवश्य नष्ट में होगी अत: जन्म दिन से 43 दिन पहले ही स्त्री को सिरहाने मुलियां रखकर प्रात: मंदिर या धर्म स्थान में देता रहे। 2. सूर्य, चन्द्र, बृहस्पति और शनि न. 5 तो पुत्र। न. 5 यदि नीच ग्रहों से खराब न हो रहा हो ता नर सन्तान देता है नहीं तो विघ्न डालता है। 3. न. २ में मंगल, शुक्र, केतु और बुध के सहायक ग्रह आने पर भी पुत्र का जन्म ही होता है। 6. शुक्र के मित्र ग्रह (शनि,केतु और बुध) अच्छी स्थिति में हो अथवा 3,5,11, में हो तो पुत्र होगा। 7. बुध के मित्र ग्रह (सूर्य, शुक्र और राहु) जब ठीक स्थिति में हो या 3,5,11में हो तो कन्याएं होगी। 8. केतु न. 12 हो और नर ग्रह बृहस्पति, मंगल और सूर्य हर प्रकार से ठीक स्थिति में हो तो अने पुत्र उत्पन्न होगें। 9. शनि न. 5 के समय 48 वर्ष की आयु तक अपनी कमाई से मकान बनाने पर सन्तान नष्ट हो जाती है। अपवाद परन्तु यदि कोई भी नर ग्रह बृहस्पति, मंगल और सूर्य अच्छी स्थिति में हो तो सन्तान नष्ट नहीं होती।

Saturday, July 26, 2008

विवाह

विवाह 1. वर्षफल के अनुसार जब न. 1, 2, 10, 11, 12 में बुध और शुक्र दोनों ग्रह बैठे हो तथा उन्हें शनि की सहायता न. 1 या 10 से प्राप्त हो रही हो तब विवाह का योग बनता है।2. जब बुध, शुक्र न. 7 में बैठे हो इन दोनों के शत्रु ग्रह न. 5, 11 में न बैठे हो। जब पुन: बुध, शुक्र न. 7 में आते हैं तब विवाह का योग बनता है।3. बुध, शुक्र नष्ट हो रहे हो उनके साथ अन्य कोई भी ग्रह बैठा हो जब उन्हें शनि की सहायता मिले तब विवाह का योग बनता है।4. शुक्र न. 4 में अकेला या अन्य ग्रहों के साथ जन्म कुण्डली में बैठा हो, वर्ष फल में न. 2 या 7 में उसके शत्रु ग्रह न हो उस वर्ष विवाह होता है। विवाह तिथि आगे भी बढ़ सकती है।5. जब न. 2 खाली हो, कुण्डली में वर्षफल में जब बृहस्पति, शुक्र 1, 2, 7 में आते हैं वह वर्ष विवाह का होता है।6. बुध और शुक्र जब न. 2 या 7 में आते हैं चाहे उन्हें शनि की सहायता भी प्राप्त नही हो रही हो तो वह वर्ष विवाह का होता है।विशेष: 1. कन्या की कुण्डली में जब बृहस्पति न. 4 में आता हो विवाह करवाता है यदि जन्म कुण्डली न.4 में बृहस्पति हो तो उसका विवाह 16 वर्ष की आयु के आस - पास हो जाता है।2. यदि तब बृहस्पति के साथ सूर्य या मंगल का साथ हो रहा हो तो उस कन्या का ससुर नहीं होता ।3. दिये गये विवाह के वर्षो में राहु २ या ७ में न हो तो ठीक होगा।4. यदि तब बृहस्पति न. 7 में हो तो स्त्री सन्तान उत्पन्न करने योग्य नहीं मिलेगी।मन्दा योगचन्द्र न. 1 के समय 24 वे या 27 वर्ष; शुक्र न. 1,6,8,9 के समय 25 वे वर्ष; राहु न. 7 के समय 21 वे वर्ष विवाह अच्छा फल देने वाला नहीं होगा।सूर्य और शुक्र - सूर्य जब शुक्र के लिये विषैला तो सूर्य की आयु 22 वें वर्ष में भी विवाह ठीक नहीं होता या यूं कहे कि (22-25) वर्षशनि न. 6 के समय- शुक्र यदि 2 या 12 हो तो 18 या 19 वां वर्ष विवाह के लिए अशुभ माने गये हैं।विवाह के लिए शुभ समयजिस वर्ष शुक्र 1, 2, 10, 11, 12 में हो और बुध 7, 8,4, 5, 6 में न हो 1. इकठ्ठे शुक्र, बुध का 1,2,10, 11, 12 में कोई वहम नहीं और शनि 1,2,7, 10,12 में हो तो वह समय विवाह के लिए उत्तम गिना गया है2. शुक्र 1,2,10,11,12 में, शनि 5 या 9, 6 या 10, 2 या 6, 3 या 7, 4 में हो, बुध 7, 8,4, 5, 6 में न हो तो विवाह के लिये श्रेष्ठ समय माना जाता है।3. जिस जातक की कुण्डली में चन्द्र न. 11 हो वह कन्यादान का संकल्प रात्रि दो बजे के बाद तक (केतु के समय में) न करें। यदि करेगा तो जातक स्वयं और उसकी कन्या दोंनों दुखी रहेगें।4. यही स्थिति उस युवक दुल्हा की होगी जिसके चन्द्र न. 11 में है वह भी यदि उस (केतु के समय) में अपने हाथ पर कन्या दान का संकल्प लेगा तो वह स्वयं भी दुखी रहेगा, ससुर भी, कन्या भी।5. शनि न. 7 वाले जातक का विवाह यदि उसकी 22 वर्ष की आयु से पहले न हो तो उकी आंखें खराब हो जायेगी।6. बृहस्पति न. 1, 7 खाली विवाह तो 16 वर्ष की आयु में या बाल्य काल में श्रेष्ठ फल देगा।द्विभार्या योग1. जब शुक्र नीच से और सूर्य शनि का देखता हो।2. बुध न. 5, 8 मेंं हो, पापी ग्रह न. 7 और शुक्र न. 4।3. बृहस्पति न. 10 सूर्य न. 5 हो तब द्विभर्या योग बनता है।4. जब शुक्र के दायें, बाये पापी ग्रह हों अथवा जहां शुक्र बैठा हो उससे चौथे या आठवें घर में मंगल, सूर्य, शनि इनमें से कोई भी ग्रह अकेले अकेले या इकट्ठे बैठा हो तो स्त्री जल कर मरे।उपाय: काली रंग की बछड़े वाली दूध देती गाय का दान करने से बचाव हो सकता है।5. शत्रु ग्रह जब शुक्र को हानि पहुचां रहे हों तो स्त्रियों की संख्या अधिक। सूर्य, बुध और राहु तीनों इकट्ठे हो तो विवाह एक से अधिक, फिर भी गृहस्थ का सुख मन्दा।6. बुध न. 8 स्त्रियों की संख्या अधिक, सीभी जीवित।7. जितनी बार वर्षफल में आयु और शनि का टकराव , जातके के उतने विवाह होने की सम्भावना है। सूर्य 6 शनि 12 तो स्त्रियां मरती जायेंगी।विशेष- 1. बुध शुक्र बाद के घरों में और मंगलबद पहले घरों में हो तो स्त्री पुरूष अलग अलग हो जायेंगे। यदि कभी इकठ्ठे हो जाये तो स्त्री पुरूष के काम न आयेगी, उस की सुन्दरता बदचलनी का करण बनेगी। नेकचलनी की हालत में सन्तान या बीमारी के कारण खर्चा और परेशानी बढ़ जायेगी। ऐसी स्थिति में स्त्री के 12 वष्र तक बच्चा उत्पन्न न होगा इसके विपरीत यदि बुध, शुक्र पहले घरों में और मंगल नीच बाद के घरों में हो तो शुक्र पर बुरे प्रभाव के कारण पुरूश होगा।2. यदि बुध, शुक्र अलग अलग घरों में हो और उनका संबंध मंगल नीच से हो जाये तो कुदरती ही खराबी हो जायेगी।3. सूर्य और बुध का संबंध स्त्री रंग ओर स्वभाव को प्रकट करता है, जन्म कुण्डली में यदि सूर्य पहले घरों (1-6) में और बुध (7-12) बाद के घरेां में अपना संबंध बना रहे हो तो स्त्री का रंग और स्वभाव अच्छा होगा। शर्त यह है कि शनि का प्रभाव साथ न मिल रहा हो। दूसरा विपरीत यानि यदि बुध पहले और सूर्य बाद के घरों में हो तो स्त्री का स्वभाव और रंग मध्यम सा ही हागा।4. जब सूर्य, बुध इकट्ठे सूर्य के घर में हो, शनि का प्रभाव या शत्रु ग्रहों का साथ न हो रहा हो तो परिणाम ठीक हुआ करता है परन्तु यदि शनि का प्रभाव साथ हो जाये तो स्त्री के स्वभाव में शनि की चंचलता आ जाती है।5. सूर्य और बुध न. 7 स्त्री हर प्रकार से सूर्य के समान धनाड्य वंश से यह अवश्य रहे कि शुक्र अच्छा हो, नही तो परिणाम उल्टा ही होंगें यानि स्त्री गरीब घर से होगी और स्वभाव में कठोर होगी परन्तु गृहस्थ ठीक ही होगा।ग्रहों का आपसी संबंधबुध, शुक्र का विवाह के दिन से ही बृहस्पति से संबंध जुड़ जाता है जो जातक के मान सम्मान और भाग्य का चमका देता है।सूर्य से संबंध - आम हालात, कामकाज नौकरी आदि (22 वर्ष)चन्द्र से संबंध - धन आयु शक्ति (24 वर्ष)मंगल से संबंध - सन्तान उत्पति (28 वर्ष)शनि से संबंध - सम्पत्ति, मकान आदि (36 वर्ष)राहु से संबंध - दुख: दरिद्र शत्रु (42 वर्ष)केतु से संबंध - फलना, फुलना, प्रसन्नता

शुभ लग्न और नेक शगुन में शुरू किये मकान के लिए निम्न सावधानियां जरूरी हैं।

शुभ लग्न और नेक शगुन में शुरू किये मकान के लिए निम्न सावधानियां जरूरी हैं।कोने-जमीन के टुकड़ों को एक गिन उस के कोने देखो। चार कोने वाला (90 डिगरी) का मकान सर्वोत्त्म है आठ कोनो वाला मातमी या बीमारी देने वाला, अठारह कोनो वाला तो बृहस्पति (सोना, चांदी) बरबाद), तीन या तेरह कोनो वाला तो मंगल बन्द, भाई बन्धुओं को आफते, मौतें आग, फांसी पांच कोनों वाला तो सन्तान का दुख वा बरबादी, मध्य से बाहर या मछली की पेट की तरह उठा हुआ मकान खानदान घटेगा यानी दादा तीन, बाप दो, स्वयं अकेला और नि:सन्तान तथा बाहू कटे मुर्दे की शक्ल का मकान में यदि में शादि हो तो मौते, स्त्री बेवा को छोड़ शेष मकान उत्तम होंगें। दीवारें-कोने देखने के बाद, मकान बनाने के पहले दीवारों का क्षेत्रफल और नींव छोड़कर हरेक हिस्सा या कमरे का अंदरूनी क्षेत्रफल अलग अलग देखा जाए तो जातक (मालिक मकान) के अपने हाथों का क्षेत्रफल भी देखा जाए। उस का हाथ चाहे 18,१९ या 17 इंच का हो पैमाना उस के हाथ की लम्बाई का हो।तरीका : (लम्बाई चौड़ाई) 3) - 1यदि लम्बाई 15, चौड़ाई 7 तोशेष बचा 1परिणाम : यदि शेष 1, 3, 5, 7 तो नेक 0, 2, 4, 6, 8 तो मंदाशेष1 (बृह., सुर्य, खाना न. १) मकान, मकानों में राज महल जैसा होगा।2. (बृहस्पति, शुक्र खाना न. ६) कुता, गरीब होगा (केतु ६ या बृहस्पति शुक्र (६) का उपाय करें।3. (मंगल, बृ. खाना न० 3) शेर की भांति, उत्तम बैठक, दूकान व्यापार के लिए अति उत्तम, परन्तु स्त्रियों, बच्चों के लिए अशुभ। निसन्तान दम्पति के लिए उत्तम। बच्चों के साथ रहने की हालात में बृहस्पति के पीले फूल कायम करो। जहां तक हो सन्तानवान इस मकान से दूर रहे। अकेली स्त्री वा बच्चों से दूर स्त्री के लिए कोई कष्ट नहीं।4. (शनि, चन्द्र खाना न. 4) गधे के समान मेहनत के बावजूद दो जून की रोटी र्दुभर। (चन्द्र शनि खाना न. 4 का उपाय करें।)5. (बृहस्पति, सूर्य खाना न.5) गाय समान, स्त्री बच्चे सब सुख पायेंगे।6. (सूर्य, शनि खाना न. 6) मुसाफिर यानि न माता रहे, न पिता सुख ले, न औलाद को आराम, न दोस्त का साथ, मारा मारा घूमें। (सूर्य शनि (6) का उपाय करे)।7. (चन्द्र, शुक्र खाना न. 7) हाथी समान, उत्तम।8 (मंगल शनि खाना न. 8) चील समान यानि मौत का मुख्यालय (मंगल शुक्र (8) का उपाय)। मुख्य द्वार -1 पूर्व में उत्तम, नेक व्यक्ति आए जाए, सुख हो।2 पश्चिम में दूसरे दर्जे का उत्तम।3 उत्तर में नेक, लम्बे सफर, पूजा पाठ नेक कार्य के लिए आने जाने का रास्ता जो परलोक सुधारे।4 दक्षिण में मनहुस, औरत के लिए मौत का कारण, मौत की जगह, छड़ों (कुवारों) का तबैला या रंडवों के अफसोस की जगह।उपाय:- हर वर्ष या कभी कभार बकरी दान करे, बुध की चीजें कच्ची शाम को दें ताकि बीमारी, छेड़छाड़ी, धन हानि न हो।कडिया -क्योंकि आजकल लैण्टर डाला जाता है अत: कड़ियों के स्थान पर सरियों की गिनती की जायेगी।क्ुल कडियों (सरियों) का 4 से भाग देने पर जो शेष बचे यानि 1 राजा का स्वभाव; 2 यमदूत; 3 राजयोग।विशेष: 1. मकान में सीधे या आम रास्ते से सीधी हवा का आना बच्चों के लिए मुसीबत खड़ी करेगी या (गली का आखरी मकान जहां से आगे रास्ता न हो। बाल बच्चें, स्त्री बर्बाद, राहु केतु के मंदे असर से मकान का प्रभाव बुरा। मुसीबते ही मुसीबते केवल अन्धें या रन्डवी ही रहे तथा अपनी जोडो की मालिश करवाने के लिए।2. रात को सोते वक्त सिरहाना पूर्व में होना उत्तम। क्योंकि दिन में दिमाग ने कार्य किया (सूर्य की मदद), रात को आत्मा ने कार्य सम्भाला (चन्द्र की मदद) इसलिये पाव का दक्षिण तथा पूर्व में सोते समय होना मनहुस है इस का उत्तर में होना नेक ही होगा। क्योंकि रूहानी काम चाहे सिर से करे या पैर से या हाथ से करें।3. मकान के अन्दर की चीजे तभी शुभ असर देंगी जब बैठक पूर्व की दीवार में, रसोई (आग) दक्षिण या दक्षिण पूर्व में, पानी (गुसल), पूजा पाठ का कमरा उत्तर में या पूर्व में, खजाना, धन दौलत दक्षिण या दक्षिण पश्चिम में हो। मेहमानखानों पश्चिमी कोने में उत्तम होगा।4. मकान से निकलते वक्त दाये हाथ का पानी, बायें हाथ या पीठ के पीछे आग उत्तम।5. मकान के नजदीक पीपल का पेड़ हो तो उस की सेवा या जड़ों में जल देना जरूरी अन्यथा जहां तक उस का साया जाये वहां तक तबाही या बर्बादी मचा दे। नजदीकी कुएं में श्रद्धा भाव से थोड़ा दुध डाला तो ठीक अन्यथा मंदा किया तो तबाही। कीकर के पेड़ पर सुर्योदय से पूर्व तारों की छांव (अन्धेरे में) 40 दिन शनिवार को पानी देने से ही जातक का बचाव होगा।मकान में ग्रह चाल से हर कोना व दिश। किसी न किसी ग्रह के लिए पक्की तरह से निश्चित हैं। इस में ग्रह से सम्बन्धित वस्तुएं भी है। यदि मकान में ग्रह के सम्बन्धित पक्की जगह पर शुक्र ग्रह की चीज कायम करें तो जातक को नुकसान होने की सम्भावना है। जैसे कि चन्द्र के लिए खाना ४ (उत्तर पूर्वी कोना) में लोहे का सन्दूक ला कर रख दे ंतो चन्द्र का फल मंदा होगा यानि जातक को चन्द्र आराम न देगा।मकान के बारे में सावधानियां1. मकान मे प्रवेश करते समय, पहले ही छते हुए भाग में जमीन खोद कर भट्ठी बनाली जाये या व्याह, शादियों में उसका प्रयोग करके बन्द कर दी जाये तो जब भी उस घर में मंगल न. ८ वाला बच्चा उत्पन्न होगा तो अपने वंश की ऐसी बर्बादी शुरू करेगा कि लोग कहेंगें कि अचानक सबके साथ भट्ठी में पड़ गये हैं। अत: यदि ऐसी भट्ठी घर में है तो उसे खोदकर जली हुई मिट्टी को तालाब या नदी के गिरा दें।2. यदि मकान मे मूर्तियां स्थापित करके मंदिर बना लिया जाये अैर चिमटे घटों या घंटियां बजाकर पूजा करनी शुरू कर दी जाये तो उस घर में निसन्तानी का घण्टा बज जायेगा।विशेष- जब बृहस्पति न. 7 में हों । कागज की फोटों का कोई वहम नहीं होगा। परन्तु धूप बत्ती नहीं करनी अर्थात उनकी पूजा निशिद्ध है।3. मकान में प्रवेश करते, समय दायें हाथ पर मकान के अन्त में एक अन्धेरी कोठरी प्राय: हुआ करती है जिसमें एक दरवाजा ही होता है प्रकाश/हवा जाने का कोई रास्ता नहीं (रोशनदान) नहीं होता। यदि उस काठरी में प्रकाश के लिए रोशनदान या छत्त में रोशन दान निकाल लिया जावे तो व वंश बरबाद हो जायेगा क्योंकि अंधेरी कोठरी शनि है और प्रकाश सूर्य है अत: दोनो टकरवा से स्त्री सुख नष्ट धन सम्पति नष्ट हो जाती है। यदि किसी कारण उसकी छत बदलनी पड़ जाये तो पहले उस पर छत डाल दे (ऊंची छत) फिर वह छत बदल लें।4. मकान में प्राय: कई बार दीवारों में आले (गुप्त स्थान) रख लिया करते थे, उन्हे खाली न रखें। यदि घर में जेवरों, नकदी के लिए छुपे हुए गड्डे बने हो तथा अब उन में कीमती चीजे न रखी हों तो 'खाली बुध` बोलेगा यानि मालिक या जातक केवल खाली बात करेगा या तो उन्हें बन्द कर दें या उनमें बादाम, छुआरे आदि रख दें, चाहे दूध ही हो।5 मकान के फर्श में यदि कच्चा हिस्सा बिल्कुल न हो तो शुक्र का फल नीच होता है। स्त्रियों की सेहत ठीक नहीं रहती, धन सम्पत्ति भी नहीं टिकेगी। यदि किसी कारण फर्श कच्चा न रखा जा सके तो उस घर में शुक्र की चीजें, खेती बाड़ी या बसाती का सामान, लाल ज्वार, दही या हीरा आदि रख ले अथवा किसी मिट्टी के गमले में मिट्टी ही डालकर रख लें। इस ग्रहस्थ स्त्रियों का मान, सेहत तथा धन सुरक्षित होगा।6 दक्षिण में मुख्य द्वारा वाला मकान स्त्रियों के लिए विशेष रूप से मनहुस होता है, उसमें पुरूष (रन्डवों को छोड़कर) भी कोई विशेष सुख नहीं भोगते। अत: मुख्य द्वार दक्षिण से हटाकर किसी और दिशा में पूर्व, पश्चिम में कर लें। यदि न हटा सके तो उसके उपर के भाग में ताम्बें का पतरा, ताम्बे की कीलों से गड़वा दें।

ग्रह का असर मकान पर

ग्रह का असर मकान पर जन्म कुण्डली के अनुसार खाना न. 1 से 9 के ग्रह अपना अपना असर मकान में दाखिल होते समय दाये हाथ की दिशा का 10 से 12 खानों में बैठे ग्रह मकान के बाये तरफ अपना असर दिखाते हैं। खाना न. 2 मकान की हालत तथा खाना न. 7 मकान का सुख दुख बताता है।उदाहरण - यदि शनि 4 और सूर्य 2 तो मकान में दखिल होतो हुए दाये हाथ की छतों के हिसाब से दूसरी कोठरी में सूर्य (अनाज, गुड या दिखावे की धूप) आदि तथा बायें हाथ के चौथे न. की कोठरी में शनि (सन्दूक, लोहा, लकड़ी) होगी। आगर जातक का कोई चाचा हो तो उस की मृत्यु शनि वाले कमरे में निश्चित। इसी प्रकार खाना न. 2 में सूर्य सम्बन्धित कार्य का, खाना 5 में खाली से बीमार का रात को पानी मांगते ही समय व्यतीत होगा।वर्षफल के हिसाब से शनि अब राहु, केतु के सम्बन्ध से नेक स्वभाव का हो और दृष्टि के हिसाब से या वैसे ही राहु केतु के साथ बैठा हो तो मकान ही मकान बनवाये लेकिन जब केवल राहु, केतु के साथ हो तो मकान बर्बाद और गिरवा देगा। पुष्य नक्षत्र से शुरू कर इसी नक्षत्र में पूर्ण किया मकान अति उत्तम होता है तथा पूर्ण होने पर मकान की प्रतिष्ठाा पर खैरात करना अति आवश्यक है।विशेष : मकान की बुनियाद रखने से पहले तह जमीन के ईद गिर्द हाशिया डाल कर उस के बीचोबीच चन्द्र की चीजों से भरा बर्तन 40-43 दिन तक दबा कर खानदानी नेक परिणाम देख लेना आवश्यक क्योंकि बर्तन दबाने के दिन से शुरू करके जन्म कुण्डली में शनि होने के घर न. के दिन तक शनि अपना अच्छा या बुरा असर जरूर दिखाएगा। मंदा असर यानि बीमारी, मुकदमा, झगड़ा या कोई और लानत) जाहिर होते ही वह बर्तन निकाल कर चलते पानी (नदी या नाले) में गिरा दे या बहा दें। गंदा असर बन्द होगा। इस जगह मकान बनाना जातक के लिए उचित नहीं यानि खानदान की बर्बादी होगी। मकान की नींच डालने के दिन से 3 या 18 साल के समय में मकान अपना असर जरूर डलेगा।मकान कैसा हो

अपना मकान कब बनेगा

मकान कब शनि की चीज है वही मकान बनवाता है और गिरवाता है जब शनि उच्च को होगा तो खुब मकान बनेगे औ जब नीच का या किसी अन्य ग्रह के योग से नीच हो रहा हो तो मकान गिरते है भूचाल आते है।शनि न. 1 जातक यदि मकान बनाये तो निर्धन (सब कुछ बर्बाद) हो जाये परन्तु यदि शनि शुभ (न. 7, 10 खाली) तो ठीक।शनि न. 2 मकान जब और जैसा बने बन जाने दे, उत्तम ही होगा।शनि न. 3 तीन कुत्तों को घर में पाले तो मकान बनेगा, नहीं तो गरीबी का कुत्ता भौकता रहेगा।शनि न. 4 अपने बनाये मकान, नानको या ससुराल के लिये अच्छे नहीं होते, मकान की नींव खोदते ही, नानकों में या ससुराल में, गड़बड़ शुरू हो जावे दोनों बर्बादी की ओर चल पड़ेंगे। इसलिए शनि न. 4 वाले को अपना मकान नहीं बनवाना चाहिए।शनि न. 5 आप बनाये मकान सन्तान की बलि लेंगे परन्तु सन्तान के बनाये मकान जातक के लिये शुभ होंगे। यदि मकान ही बनाना घड़ जाए तो 48 वष्र की आयु के बाद बनवाएं। और भैंसा घर में ला उस की पूजा कर के खिला पिला कर दाग दिलवा कर छोड़े, फिर बनाए।शनि न. 6 शनि की अवधि 36 बल्कि 39 वर्ष की आयु के बाद ही मकान बनाना उचित होगा, यदि पहिले बना ले तो अपनी लड़की के रिश्तेदारों को बर्बाद कर देगा।शनि न. 7 बने बनाये मकान अधिक मिलेंगे जो शुभ होगा, यदि बिकने लगे तो सबसे पुराने मकान की दहलीज (चौखट) संभालकर रखे तो, फिर उतने ही मकान बन जायेगें।शनि न. 8 ज्यों ही मकान बनाना शुरू करेगा, मृत्यु सिर पर मंडराने लगेगी, यहां शनि का असर, राहु व केतु का स्थिति के अनुसार होगा।शनि न. 9 जातक की अपनी स्त्री या माता के गर्भ में बच्चा हो और वह मकान बनाना शुरू कर दे (अपनी कमाई से) तो पिता पर बुरा असर पड़ता है जब जातक के तीन मकान बन जाए तो पिता की मृत्यु निश्चित ।शनि न. 10 जब तक मकान बना या खरीद नहीं लिया जाता तब तक धन खुब आता है परन्तु बनने पर जातक निर्धन हो जायेगा, जब शनि किसी कारण मन्दा हो रहा हो नही ंतो अधुरा रह जायेगा। यदि बनाना ही है तो 36 से 48 वर्ष की आयु में पुरा कर लें।शनि न. 11 प्राय: 55 वष्र आयु के बाद ही मकान बनेगा, ध्यान रहे यदि दक्षिण द्वार बाले मकान के रियाइश करेगा तो बहुत लम्बे समय तक बीमार रह कर गल सड़ कर मरना पड़ेगा। यदि पहले बनाना है तो 36 वर्ष की आयु से पहले बना ले।शनि न. 12 शनि सांप, सूर्य-बन्दर, कभी अपना मकान बिल, नहीं बनाते, परन्तु अब मकान बनाना सीख लेंगे अर्थात अब मकान अपने आप, बिना इच्छा से बनेंगे, और जातक के लिए शुभ होंगें। चाहे शनि के साथ सूर्य भी क्यों न पड़ा हो। जातक को चाहिए कि बनते मकान को रोके मत जैसा बन रहा है बनने दे। चौकोणा मकान जिसका प्रत्येक कोण 90 डिग्री के हो अति उत्तम होता है।

दो ग्रहों के मिलने से होने वाले रोग

दो ग्रहों के मिलने से होने वाले रोगबृहस्पति राहु या बृहस्पति केतु दमा, सांस की कष्ट................तपेदिक।राहु केतु - बवासीर।चन्द्र राहु- पागलपन, नमूनिया।सूर्य शुक्र या बुध बृहस्पति दमा, सांस की कष्ट.........तपैदिकमंगल शनि खून की बीमारी, कोढ़ शरीर का घट जाना।शुक्र राहु नामर्दीशुक्र केतु केवल केतु की बीमारियां, स्वप्नदोष।बृहस्पति मंगलबद (सूर्य शनि) पीलिया।चन्द्र बुध या मंगल का टकराव ग्लैण्ड।काणे अन्धेपन का योगभाव न. 1,2,12 के स्वामी ग्रहों के साथ शुक्र जब त्रिक (6,8,12) में स्थित हो या चन्द्र पाप ग्रहों से युक्त भाव न. 2 में तो भी जातक की एक आंख में दोष हो जाता है।सूर्य शुक्र भाव एक की राशि के स्वामी ग्रह के साथ त्रिक (6,8,12) में स्थित हो तो भी जातक की आंखें में दोष होता है। गोचर में भी जब ऐसी स्थिति बनती है तब भी जातक की आंखें में दोष हो जाता है।मूक - गुंगा - बहरापन योगभाव 5 का स्वामी ग्रह बृहस्पति के साथ जब त्रिक (6,8,12) में स्थित हो तो जातक देर से बोलता है तथा गूंगा भी रह सकता है। शुक्र त्रिक (6,8,12) में, बृहस्पति सिंह में, सूर्य मंगल न. 10 में स्थित हो तब भी जातक गूंगा बहरा होता है।

उदाहरण:

उदाहरण:बृहस्पति सांस - फेफड़े की बीमारियां, कुष्ट रोग, पीलिया, स्नायु रोग।उपाय: बृहस्पति का उपाय करें।सूर्य - दिल धड़कना, मुंह से झाग आना, किसी अंग की शक्ति कम हो जाना, जब सूर्य को चन्द्र की सहायता न मिले तो पागलपन और जब सूर्य न. 12 और बुध 6 हो तो उच्च रक्त चाप ( हाई ब्लड प्रेशर)।उपाय: सूर्य को उच्च करें।चन्द्र दिल की बीमारियां, दिल धड़कना, आंख के डेले की बीमारियां।उपाय: चन्द्र को उच्च करें।शुक्र चमड़ी की बीमारियां, खुजली, चम्बल, धातु क्षीणता।उपाय: नाक छेदन, बुध के उपाय से सहायता मिल सकती है तथा अपामार्ग की जड़ की बाजू पर या गले में बांध कर रखे और उसके बीज खाये।मंगल नेक (सूर्य बुध) - नासूर, पेट की बीमारियॉ, हैजा, पित्त, जिगर।मंगलबद (सूर्य शनि, शुक्र बुध 3/9) - भगंदर फोडा, नासूर, खुजली।उपाय: मंगल बाद का उपाय करें।बुध चेचक, दिमाग की खराबी, गन्ध का पता न लगे, नाड़ियों, जुबान, या दान्तों की बीमारियां।उपाय: आपामार्ग का प्रयोग करें।शनि आंखों की नजर, हर प्रकार की खांसी, दमा, भगन्दर का घोड़ा, गठिया।उपाय: कम से कम सात शनिवार नदी में नारियल बहाकर सहायता ली जा सकती है।राहु बुखार, दिमागी बीमारियां, दुर्घटना, प्लेग, अचानक चोट।उपाय: बुध के दिन बकरा दान करें।केतु रीढ, जोड़ो का दर्द, फोड़े फुंसी, रसौली, सुजाक पेशाब की बीमारी, काम की बीमारियां, रीढ़ की हड्डी, हरनियां अण्डकोश उतर जाना।उपाय: चन्द्र की सहायता से लाभ प्राप्त किया जा सकता है। बकरी दान करें।विशेष केतु के साथ शुक्र और चन्द्र के मिलने पर बच्चों को सूखने की बीमारी हो सकती है तब 40-46 दिन निरन्तर उसके शरीर पर गाजनी मलने से बीमारी ठीक हो जाती है।उपाय: गजनी को पीसकर या वैसे ही रात को पानी में भिगौ दे मुलायम हो जाने पर शरीर पर मल दें। सूख जाने पर बच्चे का नहला दें।विशेष 1. जब कभी ऊपर लिखी बीमारियां तंग करे तो तुरन्त उस बीमारी से, सम्बन्धित ग्रह का उपाय करें तो सहायता मिलेगी।2. जब कोई ग्रह इकठ्ठे हो तो उस ग्रह का उपाय करें जो वहां बैठकर दूसरे ग्रहों को नष्ट खराब कर रहा हो जैसे बृहस्पति राहु के समय राहु का।यदि बीमारी पीछा ही न छोड़े एक हटे दूसरी लग जाने पर -उपाय:- 1. घर के जितने सदस्य हैं बच्चे से बुढ़े तक उतनी संख्या जितने अतिथि आते हो उतने जमा करके चार अधिक मीठी रोटियां बना कर प्रति माह बाहर जानवरों कुत्तों कौऔ आदि को डालते रहें रोटियों का आकार चाहे बड़ा हो या छोटा। 2. हलुवा कद्यु पका हुआ (पीले रंग का) अन्दर से खोखला वर्ष में एक बार धर्म स्थान हर वर्ष, देन से लाभ होगा। 3. रात को जातक के सरहाने रूपया दो रूपया रख सुबह भंगी (भंगिन को नहीं) को दे यह क्रिया 40 - 43 दिन निरन्तर करनी है। यह गत जन्म का कष्ट - टैक्स है जो चुकाना ही पड़ेगा। 4. यदि हो सके तो शमशान भूमि में, जब भी वहां से गुजरें पैसा दो पैसा या रूपया दो रूपया वहा गिरा दिया करें, अत्यधिक दैवीय सहायता प्राप्त होगी। 5. तब 6 कन्याओं को प्रतिदिन दूध पिलाकर चान्दी का दान करें। 6. दिन निरन्तर यह उपाय करें वैस भी वर्ष में एक - दो बार यह उपाय कर दिया करें।विशेष- 1. रोग के सम्बंध में हम प्राय: भाव ६ को ही देखते हैं परन्तु रोगी की पूर्ण जानकारी के लिए भाव 3,5 व 9 को देखना भी अत्यन्त आवश्यक है जब 3,9 में नीच होते हो तो 5 भी नीच ग्रह हो जाता है। परन्तु जब भाव 9 में सूर्या या 5 में चन्द्र हो तो भाव 3 नीच नहीं होता।2. जन्म कुण्डली में जब सूर्य, चन्द्र के साथ शुक्र और बुध बैठे हो तथा वर्ष फल के अनुसार जब ये तीनों भाव 1,6,7,8,10 में आ जाते हैं तब उस वर्ष जातक को दिमागी खराबी या कोई अन्य बीमारी घेर लेती है।

ROG

Rog सम्बन्धी जानकारी प्राप्त करने के लिये न. 3, 9, 5 का अध्ययन बहुत आवश्यक है। क्योंकि न. 3 बरबादी देता है, न. 5 शरीर में आत्मा डालता है तथा इन की नींव खाना न. 9 में होती है।1. जब प. 3, 9 नीच होते हैं तो न. 5 भी नीच हो जाता है परन्तु जब न. 9 में सूर्या या चन्द्र हो तो न. 5 नीच नहीं होता।2. न. 10 के लिये न. 5, 6 के ग्रह अधिक बुरे होते हैं मन्दी हालत की निशानी नीच ग्रह की चीजों से होगी।विशेष - जब नीच ग्रहों की चीजों से सम्पर्क बना लिया जाये तो हालत मन्दी हो जाती है।3. जन्म कुण्डली के अनुसार जब सूर्य या चन्द्र के साथ शुक्र, बुध या कोई पापी ग्रह बैठा हो जिस समय वर्षफल में वे 1,6,7,8,10, में आ जाये तो सेहत खराब हो जाती है।4. न. 3 के लियेन. 1 - अचानक चोट करेगा न. 2 - साझी दीवार का काम देगान. 6 - धोखा देगा न. 7 - बुनियादी सहायक होगा।न. 8 - नीच करवायेगा न. 11 - आपसी सहायता देगा।5. न. 5 के लियेन. 1 - आपसी सहायता देगा न. 4 - सांझी दीवार का काम देगान.7 - अचानक चोट देगा न. 8 - धोखा देगान. 9 - बुनियादी सहायक होगा न. 10 - मन्दा टकराओं देगाग्रह और बीमारी का आपस में सम्बन्धप्रत्येक ग्रह की प्रसिद्ध बीमारियों का भाव यह है कि जब रोग वाला ग्रह नष्ट हो रहा होता है तो वह रोग दे जाता है।