Monday, August 4, 2008

सावधानियां (परिवारिक सुख)

1. अपने भोजन से गाय, कौवे, कुत्ते के तीन हिस्से अलग निकाल कर रखे। 2. जिस जगह भोजन बना, उसी जगह बैठ कर भोजन करना राहु की शरारतों से बचाता है। 3. हर मास घर के सदस्यों की गिनती के बराबर घर आये मेहमानों की गिनती की औसत कुछ अतिरिक्त (२-४) मिट्टी रोटियां बना कर जानवरों का डाल दें विशेष ध्यान दे कि गिनती कम न हो वनज, आकार चाहे छोटा हो जाए। 4. रात्रि को सोने समय chaarpai के नीचे थोड़ा सा पानी किसी बर्तन में रखे सुबह ऐसी जग डालें जहां उस का अपमान न हो। विशेष - उस पानी से अपना मुंह, हाथ या अन्य जगह साफ न करो। राहु की शरारतों झगड़ा फसाद, अपमान, बीमारी आदि से बचाव होगा। 5. इंसान स्वभाव ग्रहचाल के अनुसार होता है पर जिद से उलट चलने वाले की हानि होगी। संतान सम्बन्धी. 6. No Eating On The Bed. 7. Discarding old useless things from Home. 8. Not insulting one's elders and parents.

धन बचत और ऋण वसूल करने हेतु उपाय

ऐसे बहुत से लोग होते हैं जिनकी आय अच्छी होने के बावजूद वह धन संचय नहीं कर पाते तो उसके लिए शुक्ल पक्ष के मंगलवार के दिन १ लाल गुलाब का फूल, २ लाल चन्दन और रूई लेकर इन सब चीजों का एक लाल कपड़े में बांधकर अपनी तिजौरी या सेफ में रखें।ऐसा विधिपूर्वक करने से धन की बचत होने लगेगी तथा आर्थिक स्थिति में सुधार भी आएगा।६ माह के पश्चात् पहले रखी गई सामग्री को बदल कर नई सामग्री रखें। जिन लोगों की अच्छी आय होने पर वह भविष्ता के लिए धन संचय नहीं कर पाते तो उसके लिए उन्हें किसी पात्र में मंगलवार के दिन लाल चंदन का बुरादा तिजौरी या सेफ में रखने से बचत होनी आरंभ हो जाएगी।इस उपाय को वर्ष में दो बार करें। बचत करने के लिए किसी लोहे के पात्र में शहद भरकर तथा उसमें चांदी का चौकोर टुकड़ा डालकर रखने से धन की बचत होती है। ऋण वसूल करने के लिए यदि आप ने किसी को उधार दिया है तो और वह व्यक्ति आप का धन धन वापिस नहीं कर रहा तो उसके लिए बेड़ की संख्या के बराबर लौंग लेकर, कच्चे कोयले की आग में जलाएं तथा जब तक धुंआ निकलना बंद ना हो जाए तब तक तब तक वहीं पर ही खड़े होकर देनदार व्यक्ति का ध्यान लगाएं ऐसा करने से डूबा हुआ धन वापिस मिल जाता है।

व्यापार वृद्वि अथवा नया व्यवसाय शुरू करने हेतु उपाय

यदि आप अपने पुराने व्यवसाय के साथ कोई अन्य व्यवसाय शुरू करना चाहते हैं तो पुराने कारोबार में प्रयोग में में लाई जाने वाली वस्तुएं नए व्यवसाय के स्थान पर रखने से धन का लाभ होगा और काम में उन्नति मिलती है। यदि आप नौकरी के लिए इन्टरव्यु पर जाते हैं या कारोबार के सिलसिले में यात्रा पर जाते हैं तो घर से निकालने से पहले थोड़ा सा मीठा खाकर निकलें और साथ में आधा लीटर दूध मन्दिर में रखकर जाने से किसी भी कार्य में विध्न-बाधाएं नहीं आयेंगी। यदि आपको व्यापार आदि में घाटा होता है तो काले घोड़े की नाल लाकर दुकान के प्रवेश द्वार पर इस प्रकार लगाएं कि प्रत्येक ग्राहक की नजर उस पर पड़े।इससे आप के व्यापार में वृद्वि होगी। जिस व्यक्ति की दुकान या फैक्टरी न चल रही हो और कार्य को बांधे हुए की आशंका हो तो शुक्रवार के दिन फूल से कच्चे दूध का छिड़काव हर कमरे के चारों कोनों में करने से व्यापार में वृद्वि होगी। शुक्रवार के दिन- दिन छुपने के बाद सात सफेद बर्फी के टुकड़े लेकर नदी या पार्क के किनारे रखने से बिक्री में बढोतरी होगी। यदि आप स्वतन्त्र व्यवसायी हैं जैसे डाक्टर, कन्सलटेन्ट, चार्टर्ड एकााउन्टेन्ट, वकील या किसी भी तरह का कोई व्यवसाय करते हैं तो हर बृहस्पतिवार को गणेश जी पूजा करें और गणेश स्तुति या गणेश स्त्रोत का पाठ करें। पीले लडुआें का भोग लगाकर पानी वाला नारियल चढ़ाने से आय में वृद्वि होगी और अपने गल्ले में भोज पत्र भी रखें। सरकारी नौकरी में उन्नति और स्थायी रूप से बनी रहे इसके लिए बुधवार को पीपल की जड़ पर जल चढ़ाएं।

लम्बी बीमारी से छुटकारा पाने के लिए उपाय

जिस व्यकित को लम्बे समय से कोई बीमारी हो या एक बीमारी समाप्त होने के बाद कोई दूसरी बीमारी से ग्रस्त हो जाता हो और बहुत कोशिश करने के बाद भी बीमारी से छुटकारा नहीं मिलता है तो इसके लिए यह उपाय करें- १. लम्बी बीमारी से छुटकारा पाने के लिए शनिवार की रात को बेसन या मकई की रोटी बनाकर तथा सरसों के तेल से चुपड़कर रोगी के सिर से सात बार वारकर (उतारकर) रोटी काले कुत्ते को खिलाएं।ऐसा करने से रोगी की तबीयत में सुधार होता है तथा लम्बे समय से चली आ रही बीमारी से मुक्ति मिल जाती है। २. घर के सभी सदस्यों एंव घर में आए हुए मेहमानों की संख्या के बराबर मीठी रोटियॉ बनाकर महीने में एक बार कुत्तों एंव कौआ को डालें। ३. एक बड़ा सा सीताफल लें जो अंदर से पूरी तरह से पका हो एंव खोखला हो उसे महीने में एक बार धर्मस्थान में देने से बीमारी ठीक हो जाती है। ४. यदि किसी भी प्रकार से रोगी की तबीयत में सुधार ना होता हो तो ४३ दिन लगातार रात के समय २ तांबे के सिक्के अपने सिरहाने रखकर सोएं और प््राात: काल वह पैसे किसी भंगी को दे दें। ५. कभी भी कब्रिस्तान या शमशान घाट से गुजरते समय वहां पर कुछ पैसे गिरा दें। यह एक गुप्त सहायता होती है।

यात्रा

विदेशय यात्रा 1. केतु न. 12 हो तो विदेश या अन्य यात्राएं अधिक करनी पड़ती हैं। 2. राहु न. 6 में और न. 12 में जब राहु के शत्रु ग्रह शुक्र, मंगल और सुर्य आ जाये तब विदेश यात्रा का योग बनता है। 3. शनि न. 12 के समय भी विदेश यात्रा का योग बन्ता है। यात्रा हवाई - बृहस्पति से, समुद्री - चन्द्र से, खुश्की - शुक्र से देखी जाती है। सामान्य यात्रा, तबदीली केतु से देखी जाती है। केतु न. 1 - यदि केतु न. 1 हो वर्षफल के अनुसार तो यात्रा के लिए, बिस्तर बंध है, आदेश हो चुका है, परन्तु अन्त में यात्रा नहीं होगी, यदि होगी तो वापिस आना पड़ेगा, न. 2 - उन्नति पाकर यात्रा होगी, होगी तो दोनों बाते हागी नही तो एक भी नहीं होगी। जबकि न. 8 मन्दा न हो। न. 3 - भाई बन्धुऔं से दूर परदेश का जीवन बिताना पड़ेगा जबकि न. 9 खाली हो। न. 4 - यद्यपि यात्रा नहीं होगी, यदि होती तो जहां माता रह रही है वहा तक की हागी, स्थान का परिवर्तन और मन्दी यात्रा नहीं होगी जब कि न. 10 ठीक हो। न.5 - स्थान या नगर का परिवर्तन तो कभी देखा नहीं गया विभाग के अन्दर उसी शहर में किसी दूसरे कमरे बैठना पड़ जायें, यह परिवर्तन मन्दा नहीं होगा, यदि बृहस्पति नेक हो। न.6 - यात्रा का आदेश जारी होकर एक बार तो अवश्य रद्य होगा जबकि न. 12 में कोई न कोई ग्रह अवश्य बैठा हो। न.7 - जद्यी घर - बार की यात्रा अवश्य होगी, उन्नति की शर्त नहीं , जातक यदि आप न जाये तो बीमार होकर जाना पड़े, नगर का परिवत्रन जरूर होगा परिणाम ठीक होगा, न. १ ठीक होना चाहिए कोई नीच ग्रह न. 1 का मन्दा न कर रहा हो। न.8 - विशेष प्रसन्नता की यात्रा नहीं होगी, इच्छा के विरूद्ध मन्दी यात्रा होगी, यदि न. 11 में केतु का शत्रु चंद्र, मंगल न हों केतु की इस मन्दी हवा का असर केतु की चीजें (पुत्र, कान, राठी की हड्डी, जोड़ो का दर्द) पर भी हो सकता है। उससे बचाव के लिए चन्द्र का उपाय जरूरी। उपाय :मन्दिर में या कुत्तों का 15 दिन दूध देता रहे। न.9- अपनी इच्छा से प्रसन्नता से अपनी जद्यी घर बार की यात्रा होगी परिणाम ठीक होंगे, जबकि न. ३ का बुरा प्रभाव पड़ रहा हो। न. 10 - यात्रा बिना सम की होगी, शनि शुभ तो दो गुणा लाभ अशुभ तो हानि, न. ८ मन्दा तो अवश्य मन्दा यहां न. २ के ग्रह सहायक होंगें। न. 11 - यात्रा का ओदश बड़े अधिकारी से चलकर नीचे तक पहुच नहीं सकेगा दिखावटी हिल जुल होगी। न. 12 - अपने परिवार के साथ सुख से रहने का समय होगा, उन्नति अवश्य शर्तन नहीं यदि यात्रा करनी भी पड़ जायें जो लाभ दायेक होगी जबकि न. 2, 6 शुभ हो।

विशेष योग

1. सूर्य, शनि के साथ यदि शुक्र, केतु, चन्द्र तो क्रमश: स्त्री, पुत्र, माता, कष्ट में होने की सम्भावना। 2. सूर्य मंगल के साथ यदि शुक्र, केतु, चन्द्र तो क्रमश: स्त्री, पुत्र माता, पिता (बालक की २२ -२४) वर्ष आयु में बीमार 3. शुक्र 3, सूर्य, चन्द्र, केतु 9 तो किसी स्त्री के माध्यम से 22 से 24 वर्ष आयु मेें विदेश यात्रा का निमंत्रण प्राप्त होगा। 4. चन्द्र केतु दोनों साथ हो तो माता पुत्र दोनों कष्ट में, 5. केतु न. 4, राहु न. 10 तो सन्तान 34 - 42 वर्ष आयु में यदि पहिले हो तो वह अपना बीज नहीं। 6. बृहस्पति 6 तो पिता को सांसा की बीमारी (दमा नहीं) सोना खो जाये। 7. बुध 2 तो घर में सूत निवार के गोले पड़े होते हैं उनकी खोल दें क्योंकि भाग्य उनमे लिपटा हुआ है। 8. चन्द्र 6 तो माता को कष्ट, सन्तान के लिए खरगोश पाले, मर जाये तो दूसरा ले आये। 9. बृहस्पति 7 तो पिता से कम पटती है अत: मूगां धारण करे। 10. शुक्र केतु और 5वां घर मन्दा तो सन्तान के लिए खरगोश पाले, मर जाये तो दूसरा ले आये। 11. शुक्र केतु यदि विवाह न करवाये तो अन्धा हो जावे। वर्षफल के अनुसार जब न. 8 का ग्रह न. 2 में आता है तो भाग्योदय होता है। बृहस्पति जब न. 1, 4,9 में आते है तो विशष खुशी देते हैं। अकेला शुक्र जब न. 2,4,7 में होगा, तो जातक की कई पत्नीयां होगी और जीवीत होगी। 12. सूर्य शुक्र तो स्त्री बीमार खून की बीमारी, आप्रेशन से मृत्यु, पुत्र 2, अकेला बुध जब 1,5,9,12 में हो तो एक ही स्त्री होगी सन्तान हो या न हो। 13. मंगल न. 6 तो चाचे दो, भाई दो 14. शुक्र न. 2 तो ससुराल के लिए निकम्मा 15. केतु 9 तो मामा नानकों पर भारी 16. शनि और चन्द्र को टकराव आने पर आंखो का आप्रेशन 17. शनि, बृहस्पति के मिलने पर मकान बने परन्तु अपनी स्त्री नाराज 18. राहु 5 तो सन्तान पर बिजली का काम करे, (वर्षफल के अनुसार 8 वें घर में केतु हो तो पुत्र पर, 8 वें घर में बुध हो तो पुत्री पर) 19. सूर्य 6, बुध 12 तो हाई ब्लड प्रेशर 20. सूर्य 6, शनि 12 तो पत्नी की मृत्यु 21. शुक्र 3 तो अपना मकान न बनाये, यदि बनायेगा तो उजड़ जायेगा। 22. शुक्र तो विधवा स्त्री से प्यार बर्बादी का कारण बनेगा। 23. शुक्र न. 7 भाग्योदय विवाह के बाद 24. जब बृहस्पति और शुक्र 1, 7 में आते है तो विवाह का योग बनता है, विवाह के बाद जब वे उन घरों में आते है तो भी शुभ फल देते है बृहस्पति अवश्य देते है शुक्र दे या न दे। 25. यदि मिथुन लग्न की कुण्डली है और लग्न का स्वामी (बुध) नं. 11 में हो और बुध के साथ सूर्य हो और बृहस्पति की दृष्टि लग्न पर पड़ रही हो तो जातक को प्रत्येक कार्य सफलता प्राप्त होती रहती है। 26. यदि मिथुन लग्न की कुण्डली है और लग्न का स्वामी (बुध) नं. 11 में हो और बुध के साथ सूर्य हो और बृहस्पति की दृष्टि लग्न पर पड़ रही हो तो जातक को प्रत्येक कार्य में सफलता प्राप्त होती रहती है। 27. लग्न तुला हो, लग्नेश और पंचमेश की युति हो रही हो तो भी जातक को ज्योतिश में रूचि होती है। 28. कुण्डली में जब धनु के चन्द्र, और कर्क के बृहस्पति हो तो जातक उच्च कोटि का साहित्यकार होता है। 29. कुम्भ लग्न में मंगल और शुक्र दोनों स्थित हो तो जातक अत्यधिक कामी होता है। व्यभिचार के कारण उसे जेल तक जाना पड़ सकता है। 30. नं. 5 में मंगल, केतु या सूर्य हो तो जातक का पुत्र उसकी प्रतिष्ठाा को धब्बा लगाने वाला होता है। 31. वृि चक लग्न हो, लग्न में सूर्य और लग्नेश (मंगल) नं. २ में हो, बुध साथ हो तो जातक युवावस्था में ही पागल हो जाता है। कारागार में जीवन व्यतीत करे। 32. मीन लग्न हो, लग्न में मंगल हो तो कुण्डली मिलाये बिना विवाह मत करें। यदि करेगा तो छ: माह में तलाक हो जायेंगा। 33. खाना नं. 9 में नीच का शनि हो और नं. 12 में कर्क राशि का मंगल हो अथवा इनके साथ साथ नं. 10 में राहु हो तो जातक का पिता निर्धन हो जाता है। जातक को भी कठिनाई से जीवनयापन करना पड़ता है। 34. यदि तीसरे घर का स्वामी 1 से 5 हो तो प्रथम सन्तान को हानि करता है। 35. शनि नं. 3 हो तो जातक की रोटी अच्छी परन्तु नकद धन की कमी रहती है। 36. यदि कुण्डली में जातक की कुण्डली कर्क लग्न की हो, अर्थात पहिले घर का अंक हो दूसरा घर में राहू, आठवें घर में बुध हो और नौंवें घर में सूर्य हो तो जातक एक प्रतिष्ठित ज्योतिषी बनता है। 37. जिस जातक का जन्म13 अप्रैल से 23 अप्रैल के बीच होता है वह अन्यों की अपेक्षा कुछ विशेष व्यक्ति ही होता है। अत: इन दिनों सूर्य उच्च का होता है उसके अंशा भी ठीक होते हैं। 38. राहु नीच या उन घरों में जहां व नीच प्रभाव देता है। या बुध और राहु 3,8,9,12 में हो और शनि न. 2 हो तो ऐसा जातक विवाह के बाद अपने ससुर को बर्बाद कर देता है। 39. सुर्य 4, मंगल 10 तो एक आंख से काणा। 40. बृहस्पति और शुक्र कामाग्नि अधिक; चन्द्र और बृहस्पति न. 11 माता. नानी, दादी सास, बड़ा, भाई, तया, पेट दर्द की बीमारी के कष्ट में जीवन यापन करेंगें। 41. सुर्य और शुक्र इकट्ठे या सूर्य और शनि का दृष्टि के अनुसार टकराव, सूर्य शुक्र और बुध इकट्ठे तो बिना समय तलाक, जुदाई, चाल चलन की बदनामी सच्ची या झूठी प्राय: अवश्य होती है। 7 में आता है तो विवाह का योग बनता है।

वर्जित दान (ग्रहानुसार)

ग्रह किसी जातक का उच्च का अपने घर का हो उस ग्रह की वस्तुओं का दान उस जातक को नहीं करना चाहिए। मान लो किसी जातक का चन्द्र नं. 2, 4 है तो उसे दूध, चावल, चांदी या मोती का दान कभी नहीं करना चाहिए। इसी प्रकार किसी का मंगल् श्रेष्ठ यानि उच्च हो तो उसे मिठाई का दान नहीं करना चाहिए। किसी का सूर्य उच्च का हो उसे गुड या गेहूं का दान नहीं करना चाहिए। बुध श्रेष्ठ वाले को मूंग साबूत, हरा कपड़ा, कलम, फूल, मशरूम (खुम्ब) तथा घड़ा आदि का दान नहीं करना चाहिए। इसी प्रकार बृहस्पति उच्च में सोना, पीली वस्तु, पुस्तक; शुक्र उच्च वाले को सिले हुए कपड़े और शनि उच्च वाले को शराब, मांस, अण्डा, तेल या लोहे का दान नहीं करना चाहिए। इसी प्रकार यदि ये ग्रह अशुभ या नीच पड़े हो तो इन ग्रहों की वस्तुओं का दान या मुफ्त में, नहीं लेना चाहिए। मन्दिर जाना वर्जित जब किसी जातक का दूसरा घर नं. 2 खाली हो और उसके आठवें घर में पापी ग्रह विशेष रूप से शनि आ बैठे तो उस जातक को मन्दिर नहीं जाना चाहिए। बाहर से ही अपने इष्टदेव को नमस्कार कर देना चाहिए। नं. 6, 8,12 में शत्रु ग्रह बैठे हो और नं. 2 खाली हो तब भी जातक के लिए मन्दिर जाना वर्जित है। 1. चन्द्र न. 6 वाला व्यक्ति यदि दूध या पानी का दान करे या कुआं, नल, तालाब लगवाये या उनकी मरम्मत करवाये तो दिन प्रतिदिन उस का परिवार घटता रहेगा, मृत्यु सर पर मड़राती रहेगी। (शमशान/अस्पताल में नल का कोई वहम नहीं)। 2. शनि 8 वाला व्यक्ति यदि सराय, धर्मशाला, यात्री निवास बनाये तो आप बेघर और निर्धन हो जाये। 3. शनि न. 1 बृहस्पति न. 5 भिखारी को यदि ताम्बें का पैसा या ताम्बे का बर्तन दे तो सन्तान नष्ट हो। 4. बृहस्पति 10 चन्द्र 4 यदि पूजा स्थान बनवाये तो झुठे आरोपों में फांसी तक पा सकता है। 5. शुक्र 9 वाला व्यक्ति यदि अनाथ बच्चों को गोद लेले या उन्हे आने पास रखे तो उसकी मिट्टी खराब। 6. चन्द्र न. 12 वाला यदि धर्मात्मा या साधु को प्रतिदिन रोटी खिलाये, दूध पिलाये, या बच्चों को निशुल्क शिक्षा का प्रबन्ध करे या स्कूल पाठशाला आदि खोले तो ऐसा कष्ट पायेगा कि अन्त समय कोई पानी तक देने वाला नहीं होगा। 7. बृहस्पति 7 वाला व्यक्ति किसी को वस्त्र दान न करे यदि करेगा तो आप र्निवस्त्र हो जायेगा। 8. सुर्य 7, 8 सुबह शाम का दान जहर बराबर।

गर्भपात

1. मंगल और बुध (राहु स्वभाव) नीच घरों में होने के कारण सन्तान को पेट में ही नष्ट कर देते हैं। 2. राहु 5 भी गर्भपात करवा देता हैं यदि शत्रु ग्रहों से नीच हो रहा हो 3. चन्द्र और केतु न. 5 तो नर सन्तान, राहु न. 11 तो लड़कियां यदि शनि नीच या न.6 न हो। 4. राहु न. 9 तो 42 वर्ष आयु तक केवल एक पुत्र कायम, अधिक से अधिक 21 5. राहु 5, चन्द्र और सूर्य साथ साथी, या न. ४ या ६ में, शनि न. ७ तो पुत्र अवश्य होगा बशर्ते कि वर्ष फल में राहु न. 11 में न हो। 6. नपुंसक पुरूश और स्त्री का योग नपुंसक शनि न. 7 शुक्र न. 2 चन्द्र न. 1 बुध न.6 शुक्र न. 5 मंगल का साथ न हो सूर्य न. 4 बृहस्पति शनि का साधन है शनि न. 7 न. 8 खाली हो मंगल न. 4

सन्तान का जन्म

1. शुक्र, मंगल, बुध, केतु न. 1 वर्षफल में तथा शनि को साथ हो तो 2. न. 1, 5 में नर ग्रह, न.2 में चन्द्र या मंगल, केतु न. 11। 3. बुध (कन्या) या केतु (पुत्र) - उनमें से जो अच्छी स्थिति में होगा वैसा ही सन्तान होगी। 4. केंतु कायम (पूर्ण रूप से श्रेष्ठ) तो पुत्र, राहु कायम (पूर्ण रूप से श्रेष्ठ) तो पुत्री। 5. चन्द्र न. 6 तो कन्याएं अधिक और यदि केतु न. 4 तो पुत्र। विशेष :- 1. वर्ष फल के अनुसार चन्द्र नष्ट तो सन्तान अवश्य नष्ट में होगी अत: जन्म दिन से 43 दिन पहले ही स्त्री को सिरहाने मुलियां रखकर प्रात: मंदिर या धर्म स्थान में देता रहे। 2. सूर्य, चन्द्र, बृहस्पति और शनि न. 5 तो पुत्र। न. 5 यदि नीच ग्रहों से खराब न हो रहा हो ता नर सन्तान देता है नहीं तो विघ्न डालता है। 3. न. २ में मंगल, शुक्र, केतु और बुध के सहायक ग्रह आने पर भी पुत्र का जन्म ही होता है। 6. शुक्र के मित्र ग्रह (शनि,केतु और बुध) अच्छी स्थिति में हो अथवा 3,5,11, में हो तो पुत्र होगा। 7. बुध के मित्र ग्रह (सूर्य, शुक्र और राहु) जब ठीक स्थिति में हो या 3,5,11में हो तो कन्याएं होगी। 8. केतु न. 12 हो और नर ग्रह बृहस्पति, मंगल और सूर्य हर प्रकार से ठीक स्थिति में हो तो अने पुत्र उत्पन्न होगें। 9. शनि न. 5 के समय 48 वर्ष की आयु तक अपनी कमाई से मकान बनाने पर सन्तान नष्ट हो जाती है। अपवाद परन्तु यदि कोई भी नर ग्रह बृहस्पति, मंगल और सूर्य अच्छी स्थिति में हो तो सन्तान नष्ट नहीं होती।