Saturday, July 26, 2008

विवाह

विवाह 1. वर्षफल के अनुसार जब न. 1, 2, 10, 11, 12 में बुध और शुक्र दोनों ग्रह बैठे हो तथा उन्हें शनि की सहायता न. 1 या 10 से प्राप्त हो रही हो तब विवाह का योग बनता है।2. जब बुध, शुक्र न. 7 में बैठे हो इन दोनों के शत्रु ग्रह न. 5, 11 में न बैठे हो। जब पुन: बुध, शुक्र न. 7 में आते हैं तब विवाह का योग बनता है।3. बुध, शुक्र नष्ट हो रहे हो उनके साथ अन्य कोई भी ग्रह बैठा हो जब उन्हें शनि की सहायता मिले तब विवाह का योग बनता है।4. शुक्र न. 4 में अकेला या अन्य ग्रहों के साथ जन्म कुण्डली में बैठा हो, वर्ष फल में न. 2 या 7 में उसके शत्रु ग्रह न हो उस वर्ष विवाह होता है। विवाह तिथि आगे भी बढ़ सकती है।5. जब न. 2 खाली हो, कुण्डली में वर्षफल में जब बृहस्पति, शुक्र 1, 2, 7 में आते हैं वह वर्ष विवाह का होता है।6. बुध और शुक्र जब न. 2 या 7 में आते हैं चाहे उन्हें शनि की सहायता भी प्राप्त नही हो रही हो तो वह वर्ष विवाह का होता है।विशेष: 1. कन्या की कुण्डली में जब बृहस्पति न. 4 में आता हो विवाह करवाता है यदि जन्म कुण्डली न.4 में बृहस्पति हो तो उसका विवाह 16 वर्ष की आयु के आस - पास हो जाता है।2. यदि तब बृहस्पति के साथ सूर्य या मंगल का साथ हो रहा हो तो उस कन्या का ससुर नहीं होता ।3. दिये गये विवाह के वर्षो में राहु २ या ७ में न हो तो ठीक होगा।4. यदि तब बृहस्पति न. 7 में हो तो स्त्री सन्तान उत्पन्न करने योग्य नहीं मिलेगी।मन्दा योगचन्द्र न. 1 के समय 24 वे या 27 वर्ष; शुक्र न. 1,6,8,9 के समय 25 वे वर्ष; राहु न. 7 के समय 21 वे वर्ष विवाह अच्छा फल देने वाला नहीं होगा।सूर्य और शुक्र - सूर्य जब शुक्र के लिये विषैला तो सूर्य की आयु 22 वें वर्ष में भी विवाह ठीक नहीं होता या यूं कहे कि (22-25) वर्षशनि न. 6 के समय- शुक्र यदि 2 या 12 हो तो 18 या 19 वां वर्ष विवाह के लिए अशुभ माने गये हैं।विवाह के लिए शुभ समयजिस वर्ष शुक्र 1, 2, 10, 11, 12 में हो और बुध 7, 8,4, 5, 6 में न हो 1. इकठ्ठे शुक्र, बुध का 1,2,10, 11, 12 में कोई वहम नहीं और शनि 1,2,7, 10,12 में हो तो वह समय विवाह के लिए उत्तम गिना गया है2. शुक्र 1,2,10,11,12 में, शनि 5 या 9, 6 या 10, 2 या 6, 3 या 7, 4 में हो, बुध 7, 8,4, 5, 6 में न हो तो विवाह के लिये श्रेष्ठ समय माना जाता है।3. जिस जातक की कुण्डली में चन्द्र न. 11 हो वह कन्यादान का संकल्प रात्रि दो बजे के बाद तक (केतु के समय में) न करें। यदि करेगा तो जातक स्वयं और उसकी कन्या दोंनों दुखी रहेगें।4. यही स्थिति उस युवक दुल्हा की होगी जिसके चन्द्र न. 11 में है वह भी यदि उस (केतु के समय) में अपने हाथ पर कन्या दान का संकल्प लेगा तो वह स्वयं भी दुखी रहेगा, ससुर भी, कन्या भी।5. शनि न. 7 वाले जातक का विवाह यदि उसकी 22 वर्ष की आयु से पहले न हो तो उकी आंखें खराब हो जायेगी।6. बृहस्पति न. 1, 7 खाली विवाह तो 16 वर्ष की आयु में या बाल्य काल में श्रेष्ठ फल देगा।द्विभार्या योग1. जब शुक्र नीच से और सूर्य शनि का देखता हो।2. बुध न. 5, 8 मेंं हो, पापी ग्रह न. 7 और शुक्र न. 4।3. बृहस्पति न. 10 सूर्य न. 5 हो तब द्विभर्या योग बनता है।4. जब शुक्र के दायें, बाये पापी ग्रह हों अथवा जहां शुक्र बैठा हो उससे चौथे या आठवें घर में मंगल, सूर्य, शनि इनमें से कोई भी ग्रह अकेले अकेले या इकट्ठे बैठा हो तो स्त्री जल कर मरे।उपाय: काली रंग की बछड़े वाली दूध देती गाय का दान करने से बचाव हो सकता है।5. शत्रु ग्रह जब शुक्र को हानि पहुचां रहे हों तो स्त्रियों की संख्या अधिक। सूर्य, बुध और राहु तीनों इकट्ठे हो तो विवाह एक से अधिक, फिर भी गृहस्थ का सुख मन्दा।6. बुध न. 8 स्त्रियों की संख्या अधिक, सीभी जीवित।7. जितनी बार वर्षफल में आयु और शनि का टकराव , जातके के उतने विवाह होने की सम्भावना है। सूर्य 6 शनि 12 तो स्त्रियां मरती जायेंगी।विशेष- 1. बुध शुक्र बाद के घरों में और मंगलबद पहले घरों में हो तो स्त्री पुरूष अलग अलग हो जायेंगे। यदि कभी इकठ्ठे हो जाये तो स्त्री पुरूष के काम न आयेगी, उस की सुन्दरता बदचलनी का करण बनेगी। नेकचलनी की हालत में सन्तान या बीमारी के कारण खर्चा और परेशानी बढ़ जायेगी। ऐसी स्थिति में स्त्री के 12 वष्र तक बच्चा उत्पन्न न होगा इसके विपरीत यदि बुध, शुक्र पहले घरों में और मंगल नीच बाद के घरों में हो तो शुक्र पर बुरे प्रभाव के कारण पुरूश होगा।2. यदि बुध, शुक्र अलग अलग घरों में हो और उनका संबंध मंगल नीच से हो जाये तो कुदरती ही खराबी हो जायेगी।3. सूर्य और बुध का संबंध स्त्री रंग ओर स्वभाव को प्रकट करता है, जन्म कुण्डली में यदि सूर्य पहले घरों (1-6) में और बुध (7-12) बाद के घरेां में अपना संबंध बना रहे हो तो स्त्री का रंग और स्वभाव अच्छा होगा। शर्त यह है कि शनि का प्रभाव साथ न मिल रहा हो। दूसरा विपरीत यानि यदि बुध पहले और सूर्य बाद के घरों में हो तो स्त्री का स्वभाव और रंग मध्यम सा ही हागा।4. जब सूर्य, बुध इकट्ठे सूर्य के घर में हो, शनि का प्रभाव या शत्रु ग्रहों का साथ न हो रहा हो तो परिणाम ठीक हुआ करता है परन्तु यदि शनि का प्रभाव साथ हो जाये तो स्त्री के स्वभाव में शनि की चंचलता आ जाती है।5. सूर्य और बुध न. 7 स्त्री हर प्रकार से सूर्य के समान धनाड्य वंश से यह अवश्य रहे कि शुक्र अच्छा हो, नही तो परिणाम उल्टा ही होंगें यानि स्त्री गरीब घर से होगी और स्वभाव में कठोर होगी परन्तु गृहस्थ ठीक ही होगा।ग्रहों का आपसी संबंधबुध, शुक्र का विवाह के दिन से ही बृहस्पति से संबंध जुड़ जाता है जो जातक के मान सम्मान और भाग्य का चमका देता है।सूर्य से संबंध - आम हालात, कामकाज नौकरी आदि (22 वर्ष)चन्द्र से संबंध - धन आयु शक्ति (24 वर्ष)मंगल से संबंध - सन्तान उत्पति (28 वर्ष)शनि से संबंध - सम्पत्ति, मकान आदि (36 वर्ष)राहु से संबंध - दुख: दरिद्र शत्रु (42 वर्ष)केतु से संबंध - फलना, फुलना, प्रसन्नता

शुभ लग्न और नेक शगुन में शुरू किये मकान के लिए निम्न सावधानियां जरूरी हैं।

शुभ लग्न और नेक शगुन में शुरू किये मकान के लिए निम्न सावधानियां जरूरी हैं।कोने-जमीन के टुकड़ों को एक गिन उस के कोने देखो। चार कोने वाला (90 डिगरी) का मकान सर्वोत्त्म है आठ कोनो वाला मातमी या बीमारी देने वाला, अठारह कोनो वाला तो बृहस्पति (सोना, चांदी) बरबाद), तीन या तेरह कोनो वाला तो मंगल बन्द, भाई बन्धुओं को आफते, मौतें आग, फांसी पांच कोनों वाला तो सन्तान का दुख वा बरबादी, मध्य से बाहर या मछली की पेट की तरह उठा हुआ मकान खानदान घटेगा यानी दादा तीन, बाप दो, स्वयं अकेला और नि:सन्तान तथा बाहू कटे मुर्दे की शक्ल का मकान में यदि में शादि हो तो मौते, स्त्री बेवा को छोड़ शेष मकान उत्तम होंगें। दीवारें-कोने देखने के बाद, मकान बनाने के पहले दीवारों का क्षेत्रफल और नींव छोड़कर हरेक हिस्सा या कमरे का अंदरूनी क्षेत्रफल अलग अलग देखा जाए तो जातक (मालिक मकान) के अपने हाथों का क्षेत्रफल भी देखा जाए। उस का हाथ चाहे 18,१९ या 17 इंच का हो पैमाना उस के हाथ की लम्बाई का हो।तरीका : (लम्बाई चौड़ाई) 3) - 1यदि लम्बाई 15, चौड़ाई 7 तोशेष बचा 1परिणाम : यदि शेष 1, 3, 5, 7 तो नेक 0, 2, 4, 6, 8 तो मंदाशेष1 (बृह., सुर्य, खाना न. १) मकान, मकानों में राज महल जैसा होगा।2. (बृहस्पति, शुक्र खाना न. ६) कुता, गरीब होगा (केतु ६ या बृहस्पति शुक्र (६) का उपाय करें।3. (मंगल, बृ. खाना न० 3) शेर की भांति, उत्तम बैठक, दूकान व्यापार के लिए अति उत्तम, परन्तु स्त्रियों, बच्चों के लिए अशुभ। निसन्तान दम्पति के लिए उत्तम। बच्चों के साथ रहने की हालात में बृहस्पति के पीले फूल कायम करो। जहां तक हो सन्तानवान इस मकान से दूर रहे। अकेली स्त्री वा बच्चों से दूर स्त्री के लिए कोई कष्ट नहीं।4. (शनि, चन्द्र खाना न. 4) गधे के समान मेहनत के बावजूद दो जून की रोटी र्दुभर। (चन्द्र शनि खाना न. 4 का उपाय करें।)5. (बृहस्पति, सूर्य खाना न.5) गाय समान, स्त्री बच्चे सब सुख पायेंगे।6. (सूर्य, शनि खाना न. 6) मुसाफिर यानि न माता रहे, न पिता सुख ले, न औलाद को आराम, न दोस्त का साथ, मारा मारा घूमें। (सूर्य शनि (6) का उपाय करे)।7. (चन्द्र, शुक्र खाना न. 7) हाथी समान, उत्तम।8 (मंगल शनि खाना न. 8) चील समान यानि मौत का मुख्यालय (मंगल शुक्र (8) का उपाय)। मुख्य द्वार -1 पूर्व में उत्तम, नेक व्यक्ति आए जाए, सुख हो।2 पश्चिम में दूसरे दर्जे का उत्तम।3 उत्तर में नेक, लम्बे सफर, पूजा पाठ नेक कार्य के लिए आने जाने का रास्ता जो परलोक सुधारे।4 दक्षिण में मनहुस, औरत के लिए मौत का कारण, मौत की जगह, छड़ों (कुवारों) का तबैला या रंडवों के अफसोस की जगह।उपाय:- हर वर्ष या कभी कभार बकरी दान करे, बुध की चीजें कच्ची शाम को दें ताकि बीमारी, छेड़छाड़ी, धन हानि न हो।कडिया -क्योंकि आजकल लैण्टर डाला जाता है अत: कड़ियों के स्थान पर सरियों की गिनती की जायेगी।क्ुल कडियों (सरियों) का 4 से भाग देने पर जो शेष बचे यानि 1 राजा का स्वभाव; 2 यमदूत; 3 राजयोग।विशेष: 1. मकान में सीधे या आम रास्ते से सीधी हवा का आना बच्चों के लिए मुसीबत खड़ी करेगी या (गली का आखरी मकान जहां से आगे रास्ता न हो। बाल बच्चें, स्त्री बर्बाद, राहु केतु के मंदे असर से मकान का प्रभाव बुरा। मुसीबते ही मुसीबते केवल अन्धें या रन्डवी ही रहे तथा अपनी जोडो की मालिश करवाने के लिए।2. रात को सोते वक्त सिरहाना पूर्व में होना उत्तम। क्योंकि दिन में दिमाग ने कार्य किया (सूर्य की मदद), रात को आत्मा ने कार्य सम्भाला (चन्द्र की मदद) इसलिये पाव का दक्षिण तथा पूर्व में सोते समय होना मनहुस है इस का उत्तर में होना नेक ही होगा। क्योंकि रूहानी काम चाहे सिर से करे या पैर से या हाथ से करें।3. मकान के अन्दर की चीजे तभी शुभ असर देंगी जब बैठक पूर्व की दीवार में, रसोई (आग) दक्षिण या दक्षिण पूर्व में, पानी (गुसल), पूजा पाठ का कमरा उत्तर में या पूर्व में, खजाना, धन दौलत दक्षिण या दक्षिण पश्चिम में हो। मेहमानखानों पश्चिमी कोने में उत्तम होगा।4. मकान से निकलते वक्त दाये हाथ का पानी, बायें हाथ या पीठ के पीछे आग उत्तम।5. मकान के नजदीक पीपल का पेड़ हो तो उस की सेवा या जड़ों में जल देना जरूरी अन्यथा जहां तक उस का साया जाये वहां तक तबाही या बर्बादी मचा दे। नजदीकी कुएं में श्रद्धा भाव से थोड़ा दुध डाला तो ठीक अन्यथा मंदा किया तो तबाही। कीकर के पेड़ पर सुर्योदय से पूर्व तारों की छांव (अन्धेरे में) 40 दिन शनिवार को पानी देने से ही जातक का बचाव होगा।मकान में ग्रह चाल से हर कोना व दिश। किसी न किसी ग्रह के लिए पक्की तरह से निश्चित हैं। इस में ग्रह से सम्बन्धित वस्तुएं भी है। यदि मकान में ग्रह के सम्बन्धित पक्की जगह पर शुक्र ग्रह की चीज कायम करें तो जातक को नुकसान होने की सम्भावना है। जैसे कि चन्द्र के लिए खाना ४ (उत्तर पूर्वी कोना) में लोहे का सन्दूक ला कर रख दे ंतो चन्द्र का फल मंदा होगा यानि जातक को चन्द्र आराम न देगा।मकान के बारे में सावधानियां1. मकान मे प्रवेश करते समय, पहले ही छते हुए भाग में जमीन खोद कर भट्ठी बनाली जाये या व्याह, शादियों में उसका प्रयोग करके बन्द कर दी जाये तो जब भी उस घर में मंगल न. ८ वाला बच्चा उत्पन्न होगा तो अपने वंश की ऐसी बर्बादी शुरू करेगा कि लोग कहेंगें कि अचानक सबके साथ भट्ठी में पड़ गये हैं। अत: यदि ऐसी भट्ठी घर में है तो उसे खोदकर जली हुई मिट्टी को तालाब या नदी के गिरा दें।2. यदि मकान मे मूर्तियां स्थापित करके मंदिर बना लिया जाये अैर चिमटे घटों या घंटियां बजाकर पूजा करनी शुरू कर दी जाये तो उस घर में निसन्तानी का घण्टा बज जायेगा।विशेष- जब बृहस्पति न. 7 में हों । कागज की फोटों का कोई वहम नहीं होगा। परन्तु धूप बत्ती नहीं करनी अर्थात उनकी पूजा निशिद्ध है।3. मकान में प्रवेश करते, समय दायें हाथ पर मकान के अन्त में एक अन्धेरी कोठरी प्राय: हुआ करती है जिसमें एक दरवाजा ही होता है प्रकाश/हवा जाने का कोई रास्ता नहीं (रोशनदान) नहीं होता। यदि उस काठरी में प्रकाश के लिए रोशनदान या छत्त में रोशन दान निकाल लिया जावे तो व वंश बरबाद हो जायेगा क्योंकि अंधेरी कोठरी शनि है और प्रकाश सूर्य है अत: दोनो टकरवा से स्त्री सुख नष्ट धन सम्पति नष्ट हो जाती है। यदि किसी कारण उसकी छत बदलनी पड़ जाये तो पहले उस पर छत डाल दे (ऊंची छत) फिर वह छत बदल लें।4. मकान में प्राय: कई बार दीवारों में आले (गुप्त स्थान) रख लिया करते थे, उन्हे खाली न रखें। यदि घर में जेवरों, नकदी के लिए छुपे हुए गड्डे बने हो तथा अब उन में कीमती चीजे न रखी हों तो 'खाली बुध` बोलेगा यानि मालिक या जातक केवल खाली बात करेगा या तो उन्हें बन्द कर दें या उनमें बादाम, छुआरे आदि रख दें, चाहे दूध ही हो।5 मकान के फर्श में यदि कच्चा हिस्सा बिल्कुल न हो तो शुक्र का फल नीच होता है। स्त्रियों की सेहत ठीक नहीं रहती, धन सम्पत्ति भी नहीं टिकेगी। यदि किसी कारण फर्श कच्चा न रखा जा सके तो उस घर में शुक्र की चीजें, खेती बाड़ी या बसाती का सामान, लाल ज्वार, दही या हीरा आदि रख ले अथवा किसी मिट्टी के गमले में मिट्टी ही डालकर रख लें। इस ग्रहस्थ स्त्रियों का मान, सेहत तथा धन सुरक्षित होगा।6 दक्षिण में मुख्य द्वारा वाला मकान स्त्रियों के लिए विशेष रूप से मनहुस होता है, उसमें पुरूष (रन्डवों को छोड़कर) भी कोई विशेष सुख नहीं भोगते। अत: मुख्य द्वार दक्षिण से हटाकर किसी और दिशा में पूर्व, पश्चिम में कर लें। यदि न हटा सके तो उसके उपर के भाग में ताम्बें का पतरा, ताम्बे की कीलों से गड़वा दें।

ग्रह का असर मकान पर

ग्रह का असर मकान पर जन्म कुण्डली के अनुसार खाना न. 1 से 9 के ग्रह अपना अपना असर मकान में दाखिल होते समय दाये हाथ की दिशा का 10 से 12 खानों में बैठे ग्रह मकान के बाये तरफ अपना असर दिखाते हैं। खाना न. 2 मकान की हालत तथा खाना न. 7 मकान का सुख दुख बताता है।उदाहरण - यदि शनि 4 और सूर्य 2 तो मकान में दखिल होतो हुए दाये हाथ की छतों के हिसाब से दूसरी कोठरी में सूर्य (अनाज, गुड या दिखावे की धूप) आदि तथा बायें हाथ के चौथे न. की कोठरी में शनि (सन्दूक, लोहा, लकड़ी) होगी। आगर जातक का कोई चाचा हो तो उस की मृत्यु शनि वाले कमरे में निश्चित। इसी प्रकार खाना न. 2 में सूर्य सम्बन्धित कार्य का, खाना 5 में खाली से बीमार का रात को पानी मांगते ही समय व्यतीत होगा।वर्षफल के हिसाब से शनि अब राहु, केतु के सम्बन्ध से नेक स्वभाव का हो और दृष्टि के हिसाब से या वैसे ही राहु केतु के साथ बैठा हो तो मकान ही मकान बनवाये लेकिन जब केवल राहु, केतु के साथ हो तो मकान बर्बाद और गिरवा देगा। पुष्य नक्षत्र से शुरू कर इसी नक्षत्र में पूर्ण किया मकान अति उत्तम होता है तथा पूर्ण होने पर मकान की प्रतिष्ठाा पर खैरात करना अति आवश्यक है।विशेष : मकान की बुनियाद रखने से पहले तह जमीन के ईद गिर्द हाशिया डाल कर उस के बीचोबीच चन्द्र की चीजों से भरा बर्तन 40-43 दिन तक दबा कर खानदानी नेक परिणाम देख लेना आवश्यक क्योंकि बर्तन दबाने के दिन से शुरू करके जन्म कुण्डली में शनि होने के घर न. के दिन तक शनि अपना अच्छा या बुरा असर जरूर दिखाएगा। मंदा असर यानि बीमारी, मुकदमा, झगड़ा या कोई और लानत) जाहिर होते ही वह बर्तन निकाल कर चलते पानी (नदी या नाले) में गिरा दे या बहा दें। गंदा असर बन्द होगा। इस जगह मकान बनाना जातक के लिए उचित नहीं यानि खानदान की बर्बादी होगी। मकान की नींच डालने के दिन से 3 या 18 साल के समय में मकान अपना असर जरूर डलेगा।मकान कैसा हो

अपना मकान कब बनेगा

मकान कब शनि की चीज है वही मकान बनवाता है और गिरवाता है जब शनि उच्च को होगा तो खुब मकान बनेगे औ जब नीच का या किसी अन्य ग्रह के योग से नीच हो रहा हो तो मकान गिरते है भूचाल आते है।शनि न. 1 जातक यदि मकान बनाये तो निर्धन (सब कुछ बर्बाद) हो जाये परन्तु यदि शनि शुभ (न. 7, 10 खाली) तो ठीक।शनि न. 2 मकान जब और जैसा बने बन जाने दे, उत्तम ही होगा।शनि न. 3 तीन कुत्तों को घर में पाले तो मकान बनेगा, नहीं तो गरीबी का कुत्ता भौकता रहेगा।शनि न. 4 अपने बनाये मकान, नानको या ससुराल के लिये अच्छे नहीं होते, मकान की नींव खोदते ही, नानकों में या ससुराल में, गड़बड़ शुरू हो जावे दोनों बर्बादी की ओर चल पड़ेंगे। इसलिए शनि न. 4 वाले को अपना मकान नहीं बनवाना चाहिए।शनि न. 5 आप बनाये मकान सन्तान की बलि लेंगे परन्तु सन्तान के बनाये मकान जातक के लिये शुभ होंगे। यदि मकान ही बनाना घड़ जाए तो 48 वष्र की आयु के बाद बनवाएं। और भैंसा घर में ला उस की पूजा कर के खिला पिला कर दाग दिलवा कर छोड़े, फिर बनाए।शनि न. 6 शनि की अवधि 36 बल्कि 39 वर्ष की आयु के बाद ही मकान बनाना उचित होगा, यदि पहिले बना ले तो अपनी लड़की के रिश्तेदारों को बर्बाद कर देगा।शनि न. 7 बने बनाये मकान अधिक मिलेंगे जो शुभ होगा, यदि बिकने लगे तो सबसे पुराने मकान की दहलीज (चौखट) संभालकर रखे तो, फिर उतने ही मकान बन जायेगें।शनि न. 8 ज्यों ही मकान बनाना शुरू करेगा, मृत्यु सिर पर मंडराने लगेगी, यहां शनि का असर, राहु व केतु का स्थिति के अनुसार होगा।शनि न. 9 जातक की अपनी स्त्री या माता के गर्भ में बच्चा हो और वह मकान बनाना शुरू कर दे (अपनी कमाई से) तो पिता पर बुरा असर पड़ता है जब जातक के तीन मकान बन जाए तो पिता की मृत्यु निश्चित ।शनि न. 10 जब तक मकान बना या खरीद नहीं लिया जाता तब तक धन खुब आता है परन्तु बनने पर जातक निर्धन हो जायेगा, जब शनि किसी कारण मन्दा हो रहा हो नही ंतो अधुरा रह जायेगा। यदि बनाना ही है तो 36 से 48 वर्ष की आयु में पुरा कर लें।शनि न. 11 प्राय: 55 वष्र आयु के बाद ही मकान बनेगा, ध्यान रहे यदि दक्षिण द्वार बाले मकान के रियाइश करेगा तो बहुत लम्बे समय तक बीमार रह कर गल सड़ कर मरना पड़ेगा। यदि पहले बनाना है तो 36 वर्ष की आयु से पहले बना ले।शनि न. 12 शनि सांप, सूर्य-बन्दर, कभी अपना मकान बिल, नहीं बनाते, परन्तु अब मकान बनाना सीख लेंगे अर्थात अब मकान अपने आप, बिना इच्छा से बनेंगे, और जातक के लिए शुभ होंगें। चाहे शनि के साथ सूर्य भी क्यों न पड़ा हो। जातक को चाहिए कि बनते मकान को रोके मत जैसा बन रहा है बनने दे। चौकोणा मकान जिसका प्रत्येक कोण 90 डिग्री के हो अति उत्तम होता है।

दो ग्रहों के मिलने से होने वाले रोग

दो ग्रहों के मिलने से होने वाले रोगबृहस्पति राहु या बृहस्पति केतु दमा, सांस की कष्ट................तपेदिक।राहु केतु - बवासीर।चन्द्र राहु- पागलपन, नमूनिया।सूर्य शुक्र या बुध बृहस्पति दमा, सांस की कष्ट.........तपैदिकमंगल शनि खून की बीमारी, कोढ़ शरीर का घट जाना।शुक्र राहु नामर्दीशुक्र केतु केवल केतु की बीमारियां, स्वप्नदोष।बृहस्पति मंगलबद (सूर्य शनि) पीलिया।चन्द्र बुध या मंगल का टकराव ग्लैण्ड।काणे अन्धेपन का योगभाव न. 1,2,12 के स्वामी ग्रहों के साथ शुक्र जब त्रिक (6,8,12) में स्थित हो या चन्द्र पाप ग्रहों से युक्त भाव न. 2 में तो भी जातक की एक आंख में दोष हो जाता है।सूर्य शुक्र भाव एक की राशि के स्वामी ग्रह के साथ त्रिक (6,8,12) में स्थित हो तो भी जातक की आंखें में दोष होता है। गोचर में भी जब ऐसी स्थिति बनती है तब भी जातक की आंखें में दोष हो जाता है।मूक - गुंगा - बहरापन योगभाव 5 का स्वामी ग्रह बृहस्पति के साथ जब त्रिक (6,8,12) में स्थित हो तो जातक देर से बोलता है तथा गूंगा भी रह सकता है। शुक्र त्रिक (6,8,12) में, बृहस्पति सिंह में, सूर्य मंगल न. 10 में स्थित हो तब भी जातक गूंगा बहरा होता है।

उदाहरण:

उदाहरण:बृहस्पति सांस - फेफड़े की बीमारियां, कुष्ट रोग, पीलिया, स्नायु रोग।उपाय: बृहस्पति का उपाय करें।सूर्य - दिल धड़कना, मुंह से झाग आना, किसी अंग की शक्ति कम हो जाना, जब सूर्य को चन्द्र की सहायता न मिले तो पागलपन और जब सूर्य न. 12 और बुध 6 हो तो उच्च रक्त चाप ( हाई ब्लड प्रेशर)।उपाय: सूर्य को उच्च करें।चन्द्र दिल की बीमारियां, दिल धड़कना, आंख के डेले की बीमारियां।उपाय: चन्द्र को उच्च करें।शुक्र चमड़ी की बीमारियां, खुजली, चम्बल, धातु क्षीणता।उपाय: नाक छेदन, बुध के उपाय से सहायता मिल सकती है तथा अपामार्ग की जड़ की बाजू पर या गले में बांध कर रखे और उसके बीज खाये।मंगल नेक (सूर्य बुध) - नासूर, पेट की बीमारियॉ, हैजा, पित्त, जिगर।मंगलबद (सूर्य शनि, शुक्र बुध 3/9) - भगंदर फोडा, नासूर, खुजली।उपाय: मंगल बाद का उपाय करें।बुध चेचक, दिमाग की खराबी, गन्ध का पता न लगे, नाड़ियों, जुबान, या दान्तों की बीमारियां।उपाय: आपामार्ग का प्रयोग करें।शनि आंखों की नजर, हर प्रकार की खांसी, दमा, भगन्दर का घोड़ा, गठिया।उपाय: कम से कम सात शनिवार नदी में नारियल बहाकर सहायता ली जा सकती है।राहु बुखार, दिमागी बीमारियां, दुर्घटना, प्लेग, अचानक चोट।उपाय: बुध के दिन बकरा दान करें।केतु रीढ, जोड़ो का दर्द, फोड़े फुंसी, रसौली, सुजाक पेशाब की बीमारी, काम की बीमारियां, रीढ़ की हड्डी, हरनियां अण्डकोश उतर जाना।उपाय: चन्द्र की सहायता से लाभ प्राप्त किया जा सकता है। बकरी दान करें।विशेष केतु के साथ शुक्र और चन्द्र के मिलने पर बच्चों को सूखने की बीमारी हो सकती है तब 40-46 दिन निरन्तर उसके शरीर पर गाजनी मलने से बीमारी ठीक हो जाती है।उपाय: गजनी को पीसकर या वैसे ही रात को पानी में भिगौ दे मुलायम हो जाने पर शरीर पर मल दें। सूख जाने पर बच्चे का नहला दें।विशेष 1. जब कभी ऊपर लिखी बीमारियां तंग करे तो तुरन्त उस बीमारी से, सम्बन्धित ग्रह का उपाय करें तो सहायता मिलेगी।2. जब कोई ग्रह इकठ्ठे हो तो उस ग्रह का उपाय करें जो वहां बैठकर दूसरे ग्रहों को नष्ट खराब कर रहा हो जैसे बृहस्पति राहु के समय राहु का।यदि बीमारी पीछा ही न छोड़े एक हटे दूसरी लग जाने पर -उपाय:- 1. घर के जितने सदस्य हैं बच्चे से बुढ़े तक उतनी संख्या जितने अतिथि आते हो उतने जमा करके चार अधिक मीठी रोटियां बना कर प्रति माह बाहर जानवरों कुत्तों कौऔ आदि को डालते रहें रोटियों का आकार चाहे बड़ा हो या छोटा। 2. हलुवा कद्यु पका हुआ (पीले रंग का) अन्दर से खोखला वर्ष में एक बार धर्म स्थान हर वर्ष, देन से लाभ होगा। 3. रात को जातक के सरहाने रूपया दो रूपया रख सुबह भंगी (भंगिन को नहीं) को दे यह क्रिया 40 - 43 दिन निरन्तर करनी है। यह गत जन्म का कष्ट - टैक्स है जो चुकाना ही पड़ेगा। 4. यदि हो सके तो शमशान भूमि में, जब भी वहां से गुजरें पैसा दो पैसा या रूपया दो रूपया वहा गिरा दिया करें, अत्यधिक दैवीय सहायता प्राप्त होगी। 5. तब 6 कन्याओं को प्रतिदिन दूध पिलाकर चान्दी का दान करें। 6. दिन निरन्तर यह उपाय करें वैस भी वर्ष में एक - दो बार यह उपाय कर दिया करें।विशेष- 1. रोग के सम्बंध में हम प्राय: भाव ६ को ही देखते हैं परन्तु रोगी की पूर्ण जानकारी के लिए भाव 3,5 व 9 को देखना भी अत्यन्त आवश्यक है जब 3,9 में नीच होते हो तो 5 भी नीच ग्रह हो जाता है। परन्तु जब भाव 9 में सूर्या या 5 में चन्द्र हो तो भाव 3 नीच नहीं होता।2. जन्म कुण्डली में जब सूर्य, चन्द्र के साथ शुक्र और बुध बैठे हो तथा वर्ष फल के अनुसार जब ये तीनों भाव 1,6,7,8,10 में आ जाते हैं तब उस वर्ष जातक को दिमागी खराबी या कोई अन्य बीमारी घेर लेती है।

ROG

Rog सम्बन्धी जानकारी प्राप्त करने के लिये न. 3, 9, 5 का अध्ययन बहुत आवश्यक है। क्योंकि न. 3 बरबादी देता है, न. 5 शरीर में आत्मा डालता है तथा इन की नींव खाना न. 9 में होती है।1. जब प. 3, 9 नीच होते हैं तो न. 5 भी नीच हो जाता है परन्तु जब न. 9 में सूर्या या चन्द्र हो तो न. 5 नीच नहीं होता।2. न. 10 के लिये न. 5, 6 के ग्रह अधिक बुरे होते हैं मन्दी हालत की निशानी नीच ग्रह की चीजों से होगी।विशेष - जब नीच ग्रहों की चीजों से सम्पर्क बना लिया जाये तो हालत मन्दी हो जाती है।3. जन्म कुण्डली के अनुसार जब सूर्य या चन्द्र के साथ शुक्र, बुध या कोई पापी ग्रह बैठा हो जिस समय वर्षफल में वे 1,6,7,8,10, में आ जाये तो सेहत खराब हो जाती है।4. न. 3 के लियेन. 1 - अचानक चोट करेगा न. 2 - साझी दीवार का काम देगान. 6 - धोखा देगा न. 7 - बुनियादी सहायक होगा।न. 8 - नीच करवायेगा न. 11 - आपसी सहायता देगा।5. न. 5 के लियेन. 1 - आपसी सहायता देगा न. 4 - सांझी दीवार का काम देगान.7 - अचानक चोट देगा न. 8 - धोखा देगान. 9 - बुनियादी सहायक होगा न. 10 - मन्दा टकराओं देगाग्रह और बीमारी का आपस में सम्बन्धप्रत्येक ग्रह की प्रसिद्ध बीमारियों का भाव यह है कि जब रोग वाला ग्रह नष्ट हो रहा होता है तो वह रोग दे जाता है।