Lal Kitab's central theme is to diagnose problems by studying the chart of a person and providing simplistic solutions to him.The entire system is created solely to relieve people from there problems.The lal kitab is based on Samudrik shastra and jyotish gyan.
Saturday, July 26, 2008
उदाहरण:
उदाहरण:बृहस्पति सांस - फेफड़े की बीमारियां, कुष्ट रोग, पीलिया, स्नायु रोग।उपाय: बृहस्पति का उपाय करें।सूर्य - दिल धड़कना, मुंह से झाग आना, किसी अंग की शक्ति कम हो जाना, जब सूर्य को चन्द्र की सहायता न मिले तो पागलपन और जब सूर्य न. 12 और बुध 6 हो तो उच्च रक्त चाप ( हाई ब्लड प्रेशर)।उपाय: सूर्य को उच्च करें।चन्द्र दिल की बीमारियां, दिल धड़कना, आंख के डेले की बीमारियां।उपाय: चन्द्र को उच्च करें।शुक्र चमड़ी की बीमारियां, खुजली, चम्बल, धातु क्षीणता।उपाय: नाक छेदन, बुध के उपाय से सहायता मिल सकती है तथा अपामार्ग की जड़ की बाजू पर या गले में बांध कर रखे और उसके बीज खाये।मंगल नेक (सूर्य बुध) - नासूर, पेट की बीमारियॉ, हैजा, पित्त, जिगर।मंगलबद (सूर्य शनि, शुक्र बुध 3/9) - भगंदर फोडा, नासूर, खुजली।उपाय: मंगल बाद का उपाय करें।बुध चेचक, दिमाग की खराबी, गन्ध का पता न लगे, नाड़ियों, जुबान, या दान्तों की बीमारियां।उपाय: आपामार्ग का प्रयोग करें।शनि आंखों की नजर, हर प्रकार की खांसी, दमा, भगन्दर का घोड़ा, गठिया।उपाय: कम से कम सात शनिवार नदी में नारियल बहाकर सहायता ली जा सकती है।राहु बुखार, दिमागी बीमारियां, दुर्घटना, प्लेग, अचानक चोट।उपाय: बुध के दिन बकरा दान करें।केतु रीढ, जोड़ो का दर्द, फोड़े फुंसी, रसौली, सुजाक पेशाब की बीमारी, काम की बीमारियां, रीढ़ की हड्डी, हरनियां अण्डकोश उतर जाना।उपाय: चन्द्र की सहायता से लाभ प्राप्त किया जा सकता है। बकरी दान करें।विशेष केतु के साथ शुक्र और चन्द्र के मिलने पर बच्चों को सूखने की बीमारी हो सकती है तब 40-46 दिन निरन्तर उसके शरीर पर गाजनी मलने से बीमारी ठीक हो जाती है।उपाय: गजनी को पीसकर या वैसे ही रात को पानी में भिगौ दे मुलायम हो जाने पर शरीर पर मल दें। सूख जाने पर बच्चे का नहला दें।विशेष 1. जब कभी ऊपर लिखी बीमारियां तंग करे तो तुरन्त उस बीमारी से, सम्बन्धित ग्रह का उपाय करें तो सहायता मिलेगी।2. जब कोई ग्रह इकठ्ठे हो तो उस ग्रह का उपाय करें जो वहां बैठकर दूसरे ग्रहों को नष्ट खराब कर रहा हो जैसे बृहस्पति राहु के समय राहु का।यदि बीमारी पीछा ही न छोड़े एक हटे दूसरी लग जाने पर -उपाय:- 1. घर के जितने सदस्य हैं बच्चे से बुढ़े तक उतनी संख्या जितने अतिथि आते हो उतने जमा करके चार अधिक मीठी रोटियां बना कर प्रति माह बाहर जानवरों कुत्तों कौऔ आदि को डालते रहें रोटियों का आकार चाहे बड़ा हो या छोटा। 2. हलुवा कद्यु पका हुआ (पीले रंग का) अन्दर से खोखला वर्ष में एक बार धर्म स्थान हर वर्ष, देन से लाभ होगा। 3. रात को जातक के सरहाने रूपया दो रूपया रख सुबह भंगी (भंगिन को नहीं) को दे यह क्रिया 40 - 43 दिन निरन्तर करनी है। यह गत जन्म का कष्ट - टैक्स है जो चुकाना ही पड़ेगा। 4. यदि हो सके तो शमशान भूमि में, जब भी वहां से गुजरें पैसा दो पैसा या रूपया दो रूपया वहा गिरा दिया करें, अत्यधिक दैवीय सहायता प्राप्त होगी। 5. तब 6 कन्याओं को प्रतिदिन दूध पिलाकर चान्दी का दान करें। 6. दिन निरन्तर यह उपाय करें वैस भी वर्ष में एक - दो बार यह उपाय कर दिया करें।विशेष- 1. रोग के सम्बंध में हम प्राय: भाव ६ को ही देखते हैं परन्तु रोगी की पूर्ण जानकारी के लिए भाव 3,5 व 9 को देखना भी अत्यन्त आवश्यक है जब 3,9 में नीच होते हो तो 5 भी नीच ग्रह हो जाता है। परन्तु जब भाव 9 में सूर्या या 5 में चन्द्र हो तो भाव 3 नीच नहीं होता।2. जन्म कुण्डली में जब सूर्य, चन्द्र के साथ शुक्र और बुध बैठे हो तथा वर्ष फल के अनुसार जब ये तीनों भाव 1,6,7,8,10 में आ जाते हैं तब उस वर्ष जातक को दिमागी खराबी या कोई अन्य बीमारी घेर लेती है।
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