Lal Kitab's central theme is to diagnose problems by studying the chart of a person and providing simplistic solutions to him.The entire system is created solely to relieve people from there problems.The lal kitab is based on Samudrik shastra and jyotish gyan.
Saturday, July 26, 2008
दो ग्रहों के मिलने से होने वाले रोग
दो ग्रहों के मिलने से होने वाले रोगबृहस्पति राहु या बृहस्पति केतु दमा, सांस की कष्ट................तपेदिक।राहु केतु - बवासीर।चन्द्र राहु- पागलपन, नमूनिया।सूर्य शुक्र या बुध बृहस्पति दमा, सांस की कष्ट.........तपैदिकमंगल शनि खून की बीमारी, कोढ़ शरीर का घट जाना।शुक्र राहु नामर्दीशुक्र केतु केवल केतु की बीमारियां, स्वप्नदोष।बृहस्पति मंगलबद (सूर्य शनि) पीलिया।चन्द्र बुध या मंगल का टकराव ग्लैण्ड।काणे अन्धेपन का योगभाव न. 1,2,12 के स्वामी ग्रहों के साथ शुक्र जब त्रिक (6,8,12) में स्थित हो या चन्द्र पाप ग्रहों से युक्त भाव न. 2 में तो भी जातक की एक आंख में दोष हो जाता है।सूर्य शुक्र भाव एक की राशि के स्वामी ग्रह के साथ त्रिक (6,8,12) में स्थित हो तो भी जातक की आंखें में दोष होता है। गोचर में भी जब ऐसी स्थिति बनती है तब भी जातक की आंखें में दोष हो जाता है।मूक - गुंगा - बहरापन योगभाव 5 का स्वामी ग्रह बृहस्पति के साथ जब त्रिक (6,8,12) में स्थित हो तो जातक देर से बोलता है तथा गूंगा भी रह सकता है। शुक्र त्रिक (6,8,12) में, बृहस्पति सिंह में, सूर्य मंगल न. 10 में स्थित हो तब भी जातक गूंगा बहरा होता है।
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