Monday, August 4, 2008

सन्तान का जन्म

1. शुक्र, मंगल, बुध, केतु न. 1 वर्षफल में तथा शनि को साथ हो तो 2. न. 1, 5 में नर ग्रह, न.2 में चन्द्र या मंगल, केतु न. 11। 3. बुध (कन्या) या केतु (पुत्र) - उनमें से जो अच्छी स्थिति में होगा वैसा ही सन्तान होगी। 4. केंतु कायम (पूर्ण रूप से श्रेष्ठ) तो पुत्र, राहु कायम (पूर्ण रूप से श्रेष्ठ) तो पुत्री। 5. चन्द्र न. 6 तो कन्याएं अधिक और यदि केतु न. 4 तो पुत्र। विशेष :- 1. वर्ष फल के अनुसार चन्द्र नष्ट तो सन्तान अवश्य नष्ट में होगी अत: जन्म दिन से 43 दिन पहले ही स्त्री को सिरहाने मुलियां रखकर प्रात: मंदिर या धर्म स्थान में देता रहे। 2. सूर्य, चन्द्र, बृहस्पति और शनि न. 5 तो पुत्र। न. 5 यदि नीच ग्रहों से खराब न हो रहा हो ता नर सन्तान देता है नहीं तो विघ्न डालता है। 3. न. २ में मंगल, शुक्र, केतु और बुध के सहायक ग्रह आने पर भी पुत्र का जन्म ही होता है। 6. शुक्र के मित्र ग्रह (शनि,केतु और बुध) अच्छी स्थिति में हो अथवा 3,5,11, में हो तो पुत्र होगा। 7. बुध के मित्र ग्रह (सूर्य, शुक्र और राहु) जब ठीक स्थिति में हो या 3,5,11में हो तो कन्याएं होगी। 8. केतु न. 12 हो और नर ग्रह बृहस्पति, मंगल और सूर्य हर प्रकार से ठीक स्थिति में हो तो अने पुत्र उत्पन्न होगें। 9. शनि न. 5 के समय 48 वर्ष की आयु तक अपनी कमाई से मकान बनाने पर सन्तान नष्ट हो जाती है। अपवाद परन्तु यदि कोई भी नर ग्रह बृहस्पति, मंगल और सूर्य अच्छी स्थिति में हो तो सन्तान नष्ट नहीं होती।

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