Saturday, July 26, 2008

विवाह

विवाह 1. वर्षफल के अनुसार जब न. 1, 2, 10, 11, 12 में बुध और शुक्र दोनों ग्रह बैठे हो तथा उन्हें शनि की सहायता न. 1 या 10 से प्राप्त हो रही हो तब विवाह का योग बनता है।2. जब बुध, शुक्र न. 7 में बैठे हो इन दोनों के शत्रु ग्रह न. 5, 11 में न बैठे हो। जब पुन: बुध, शुक्र न. 7 में आते हैं तब विवाह का योग बनता है।3. बुध, शुक्र नष्ट हो रहे हो उनके साथ अन्य कोई भी ग्रह बैठा हो जब उन्हें शनि की सहायता मिले तब विवाह का योग बनता है।4. शुक्र न. 4 में अकेला या अन्य ग्रहों के साथ जन्म कुण्डली में बैठा हो, वर्ष फल में न. 2 या 7 में उसके शत्रु ग्रह न हो उस वर्ष विवाह होता है। विवाह तिथि आगे भी बढ़ सकती है।5. जब न. 2 खाली हो, कुण्डली में वर्षफल में जब बृहस्पति, शुक्र 1, 2, 7 में आते हैं वह वर्ष विवाह का होता है।6. बुध और शुक्र जब न. 2 या 7 में आते हैं चाहे उन्हें शनि की सहायता भी प्राप्त नही हो रही हो तो वह वर्ष विवाह का होता है।विशेष: 1. कन्या की कुण्डली में जब बृहस्पति न. 4 में आता हो विवाह करवाता है यदि जन्म कुण्डली न.4 में बृहस्पति हो तो उसका विवाह 16 वर्ष की आयु के आस - पास हो जाता है।2. यदि तब बृहस्पति के साथ सूर्य या मंगल का साथ हो रहा हो तो उस कन्या का ससुर नहीं होता ।3. दिये गये विवाह के वर्षो में राहु २ या ७ में न हो तो ठीक होगा।4. यदि तब बृहस्पति न. 7 में हो तो स्त्री सन्तान उत्पन्न करने योग्य नहीं मिलेगी।मन्दा योगचन्द्र न. 1 के समय 24 वे या 27 वर्ष; शुक्र न. 1,6,8,9 के समय 25 वे वर्ष; राहु न. 7 के समय 21 वे वर्ष विवाह अच्छा फल देने वाला नहीं होगा।सूर्य और शुक्र - सूर्य जब शुक्र के लिये विषैला तो सूर्य की आयु 22 वें वर्ष में भी विवाह ठीक नहीं होता या यूं कहे कि (22-25) वर्षशनि न. 6 के समय- शुक्र यदि 2 या 12 हो तो 18 या 19 वां वर्ष विवाह के लिए अशुभ माने गये हैं।विवाह के लिए शुभ समयजिस वर्ष शुक्र 1, 2, 10, 11, 12 में हो और बुध 7, 8,4, 5, 6 में न हो 1. इकठ्ठे शुक्र, बुध का 1,2,10, 11, 12 में कोई वहम नहीं और शनि 1,2,7, 10,12 में हो तो वह समय विवाह के लिए उत्तम गिना गया है2. शुक्र 1,2,10,11,12 में, शनि 5 या 9, 6 या 10, 2 या 6, 3 या 7, 4 में हो, बुध 7, 8,4, 5, 6 में न हो तो विवाह के लिये श्रेष्ठ समय माना जाता है।3. जिस जातक की कुण्डली में चन्द्र न. 11 हो वह कन्यादान का संकल्प रात्रि दो बजे के बाद तक (केतु के समय में) न करें। यदि करेगा तो जातक स्वयं और उसकी कन्या दोंनों दुखी रहेगें।4. यही स्थिति उस युवक दुल्हा की होगी जिसके चन्द्र न. 11 में है वह भी यदि उस (केतु के समय) में अपने हाथ पर कन्या दान का संकल्प लेगा तो वह स्वयं भी दुखी रहेगा, ससुर भी, कन्या भी।5. शनि न. 7 वाले जातक का विवाह यदि उसकी 22 वर्ष की आयु से पहले न हो तो उकी आंखें खराब हो जायेगी।6. बृहस्पति न. 1, 7 खाली विवाह तो 16 वर्ष की आयु में या बाल्य काल में श्रेष्ठ फल देगा।द्विभार्या योग1. जब शुक्र नीच से और सूर्य शनि का देखता हो।2. बुध न. 5, 8 मेंं हो, पापी ग्रह न. 7 और शुक्र न. 4।3. बृहस्पति न. 10 सूर्य न. 5 हो तब द्विभर्या योग बनता है।4. जब शुक्र के दायें, बाये पापी ग्रह हों अथवा जहां शुक्र बैठा हो उससे चौथे या आठवें घर में मंगल, सूर्य, शनि इनमें से कोई भी ग्रह अकेले अकेले या इकट्ठे बैठा हो तो स्त्री जल कर मरे।उपाय: काली रंग की बछड़े वाली दूध देती गाय का दान करने से बचाव हो सकता है।5. शत्रु ग्रह जब शुक्र को हानि पहुचां रहे हों तो स्त्रियों की संख्या अधिक। सूर्य, बुध और राहु तीनों इकट्ठे हो तो विवाह एक से अधिक, फिर भी गृहस्थ का सुख मन्दा।6. बुध न. 8 स्त्रियों की संख्या अधिक, सीभी जीवित।7. जितनी बार वर्षफल में आयु और शनि का टकराव , जातके के उतने विवाह होने की सम्भावना है। सूर्य 6 शनि 12 तो स्त्रियां मरती जायेंगी।विशेष- 1. बुध शुक्र बाद के घरों में और मंगलबद पहले घरों में हो तो स्त्री पुरूष अलग अलग हो जायेंगे। यदि कभी इकठ्ठे हो जाये तो स्त्री पुरूष के काम न आयेगी, उस की सुन्दरता बदचलनी का करण बनेगी। नेकचलनी की हालत में सन्तान या बीमारी के कारण खर्चा और परेशानी बढ़ जायेगी। ऐसी स्थिति में स्त्री के 12 वष्र तक बच्चा उत्पन्न न होगा इसके विपरीत यदि बुध, शुक्र पहले घरों में और मंगल नीच बाद के घरों में हो तो शुक्र पर बुरे प्रभाव के कारण पुरूश होगा।2. यदि बुध, शुक्र अलग अलग घरों में हो और उनका संबंध मंगल नीच से हो जाये तो कुदरती ही खराबी हो जायेगी।3. सूर्य और बुध का संबंध स्त्री रंग ओर स्वभाव को प्रकट करता है, जन्म कुण्डली में यदि सूर्य पहले घरों (1-6) में और बुध (7-12) बाद के घरेां में अपना संबंध बना रहे हो तो स्त्री का रंग और स्वभाव अच्छा होगा। शर्त यह है कि शनि का प्रभाव साथ न मिल रहा हो। दूसरा विपरीत यानि यदि बुध पहले और सूर्य बाद के घरों में हो तो स्त्री का स्वभाव और रंग मध्यम सा ही हागा।4. जब सूर्य, बुध इकट्ठे सूर्य के घर में हो, शनि का प्रभाव या शत्रु ग्रहों का साथ न हो रहा हो तो परिणाम ठीक हुआ करता है परन्तु यदि शनि का प्रभाव साथ हो जाये तो स्त्री के स्वभाव में शनि की चंचलता आ जाती है।5. सूर्य और बुध न. 7 स्त्री हर प्रकार से सूर्य के समान धनाड्य वंश से यह अवश्य रहे कि शुक्र अच्छा हो, नही तो परिणाम उल्टा ही होंगें यानि स्त्री गरीब घर से होगी और स्वभाव में कठोर होगी परन्तु गृहस्थ ठीक ही होगा।ग्रहों का आपसी संबंधबुध, शुक्र का विवाह के दिन से ही बृहस्पति से संबंध जुड़ जाता है जो जातक के मान सम्मान और भाग्य का चमका देता है।सूर्य से संबंध - आम हालात, कामकाज नौकरी आदि (22 वर्ष)चन्द्र से संबंध - धन आयु शक्ति (24 वर्ष)मंगल से संबंध - सन्तान उत्पति (28 वर्ष)शनि से संबंध - सम्पत्ति, मकान आदि (36 वर्ष)राहु से संबंध - दुख: दरिद्र शत्रु (42 वर्ष)केतु से संबंध - फलना, फुलना, प्रसन्नता

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