Saturday, July 26, 2008

शुभ लग्न और नेक शगुन में शुरू किये मकान के लिए निम्न सावधानियां जरूरी हैं।

शुभ लग्न और नेक शगुन में शुरू किये मकान के लिए निम्न सावधानियां जरूरी हैं।कोने-जमीन के टुकड़ों को एक गिन उस के कोने देखो। चार कोने वाला (90 डिगरी) का मकान सर्वोत्त्म है आठ कोनो वाला मातमी या बीमारी देने वाला, अठारह कोनो वाला तो बृहस्पति (सोना, चांदी) बरबाद), तीन या तेरह कोनो वाला तो मंगल बन्द, भाई बन्धुओं को आफते, मौतें आग, फांसी पांच कोनों वाला तो सन्तान का दुख वा बरबादी, मध्य से बाहर या मछली की पेट की तरह उठा हुआ मकान खानदान घटेगा यानी दादा तीन, बाप दो, स्वयं अकेला और नि:सन्तान तथा बाहू कटे मुर्दे की शक्ल का मकान में यदि में शादि हो तो मौते, स्त्री बेवा को छोड़ शेष मकान उत्तम होंगें। दीवारें-कोने देखने के बाद, मकान बनाने के पहले दीवारों का क्षेत्रफल और नींव छोड़कर हरेक हिस्सा या कमरे का अंदरूनी क्षेत्रफल अलग अलग देखा जाए तो जातक (मालिक मकान) के अपने हाथों का क्षेत्रफल भी देखा जाए। उस का हाथ चाहे 18,१९ या 17 इंच का हो पैमाना उस के हाथ की लम्बाई का हो।तरीका : (लम्बाई चौड़ाई) 3) - 1यदि लम्बाई 15, चौड़ाई 7 तोशेष बचा 1परिणाम : यदि शेष 1, 3, 5, 7 तो नेक 0, 2, 4, 6, 8 तो मंदाशेष1 (बृह., सुर्य, खाना न. १) मकान, मकानों में राज महल जैसा होगा।2. (बृहस्पति, शुक्र खाना न. ६) कुता, गरीब होगा (केतु ६ या बृहस्पति शुक्र (६) का उपाय करें।3. (मंगल, बृ. खाना न० 3) शेर की भांति, उत्तम बैठक, दूकान व्यापार के लिए अति उत्तम, परन्तु स्त्रियों, बच्चों के लिए अशुभ। निसन्तान दम्पति के लिए उत्तम। बच्चों के साथ रहने की हालात में बृहस्पति के पीले फूल कायम करो। जहां तक हो सन्तानवान इस मकान से दूर रहे। अकेली स्त्री वा बच्चों से दूर स्त्री के लिए कोई कष्ट नहीं।4. (शनि, चन्द्र खाना न. 4) गधे के समान मेहनत के बावजूद दो जून की रोटी र्दुभर। (चन्द्र शनि खाना न. 4 का उपाय करें।)5. (बृहस्पति, सूर्य खाना न.5) गाय समान, स्त्री बच्चे सब सुख पायेंगे।6. (सूर्य, शनि खाना न. 6) मुसाफिर यानि न माता रहे, न पिता सुख ले, न औलाद को आराम, न दोस्त का साथ, मारा मारा घूमें। (सूर्य शनि (6) का उपाय करे)।7. (चन्द्र, शुक्र खाना न. 7) हाथी समान, उत्तम।8 (मंगल शनि खाना न. 8) चील समान यानि मौत का मुख्यालय (मंगल शुक्र (8) का उपाय)। मुख्य द्वार -1 पूर्व में उत्तम, नेक व्यक्ति आए जाए, सुख हो।2 पश्चिम में दूसरे दर्जे का उत्तम।3 उत्तर में नेक, लम्बे सफर, पूजा पाठ नेक कार्य के लिए आने जाने का रास्ता जो परलोक सुधारे।4 दक्षिण में मनहुस, औरत के लिए मौत का कारण, मौत की जगह, छड़ों (कुवारों) का तबैला या रंडवों के अफसोस की जगह।उपाय:- हर वर्ष या कभी कभार बकरी दान करे, बुध की चीजें कच्ची शाम को दें ताकि बीमारी, छेड़छाड़ी, धन हानि न हो।कडिया -क्योंकि आजकल लैण्टर डाला जाता है अत: कड़ियों के स्थान पर सरियों की गिनती की जायेगी।क्ुल कडियों (सरियों) का 4 से भाग देने पर जो शेष बचे यानि 1 राजा का स्वभाव; 2 यमदूत; 3 राजयोग।विशेष: 1. मकान में सीधे या आम रास्ते से सीधी हवा का आना बच्चों के लिए मुसीबत खड़ी करेगी या (गली का आखरी मकान जहां से आगे रास्ता न हो। बाल बच्चें, स्त्री बर्बाद, राहु केतु के मंदे असर से मकान का प्रभाव बुरा। मुसीबते ही मुसीबते केवल अन्धें या रन्डवी ही रहे तथा अपनी जोडो की मालिश करवाने के लिए।2. रात को सोते वक्त सिरहाना पूर्व में होना उत्तम। क्योंकि दिन में दिमाग ने कार्य किया (सूर्य की मदद), रात को आत्मा ने कार्य सम्भाला (चन्द्र की मदद) इसलिये पाव का दक्षिण तथा पूर्व में सोते समय होना मनहुस है इस का उत्तर में होना नेक ही होगा। क्योंकि रूहानी काम चाहे सिर से करे या पैर से या हाथ से करें।3. मकान के अन्दर की चीजे तभी शुभ असर देंगी जब बैठक पूर्व की दीवार में, रसोई (आग) दक्षिण या दक्षिण पूर्व में, पानी (गुसल), पूजा पाठ का कमरा उत्तर में या पूर्व में, खजाना, धन दौलत दक्षिण या दक्षिण पश्चिम में हो। मेहमानखानों पश्चिमी कोने में उत्तम होगा।4. मकान से निकलते वक्त दाये हाथ का पानी, बायें हाथ या पीठ के पीछे आग उत्तम।5. मकान के नजदीक पीपल का पेड़ हो तो उस की सेवा या जड़ों में जल देना जरूरी अन्यथा जहां तक उस का साया जाये वहां तक तबाही या बर्बादी मचा दे। नजदीकी कुएं में श्रद्धा भाव से थोड़ा दुध डाला तो ठीक अन्यथा मंदा किया तो तबाही। कीकर के पेड़ पर सुर्योदय से पूर्व तारों की छांव (अन्धेरे में) 40 दिन शनिवार को पानी देने से ही जातक का बचाव होगा।मकान में ग्रह चाल से हर कोना व दिश। किसी न किसी ग्रह के लिए पक्की तरह से निश्चित हैं। इस में ग्रह से सम्बन्धित वस्तुएं भी है। यदि मकान में ग्रह के सम्बन्धित पक्की जगह पर शुक्र ग्रह की चीज कायम करें तो जातक को नुकसान होने की सम्भावना है। जैसे कि चन्द्र के लिए खाना ४ (उत्तर पूर्वी कोना) में लोहे का सन्दूक ला कर रख दे ंतो चन्द्र का फल मंदा होगा यानि जातक को चन्द्र आराम न देगा।मकान के बारे में सावधानियां1. मकान मे प्रवेश करते समय, पहले ही छते हुए भाग में जमीन खोद कर भट्ठी बनाली जाये या व्याह, शादियों में उसका प्रयोग करके बन्द कर दी जाये तो जब भी उस घर में मंगल न. ८ वाला बच्चा उत्पन्न होगा तो अपने वंश की ऐसी बर्बादी शुरू करेगा कि लोग कहेंगें कि अचानक सबके साथ भट्ठी में पड़ गये हैं। अत: यदि ऐसी भट्ठी घर में है तो उसे खोदकर जली हुई मिट्टी को तालाब या नदी के गिरा दें।2. यदि मकान मे मूर्तियां स्थापित करके मंदिर बना लिया जाये अैर चिमटे घटों या घंटियां बजाकर पूजा करनी शुरू कर दी जाये तो उस घर में निसन्तानी का घण्टा बज जायेगा।विशेष- जब बृहस्पति न. 7 में हों । कागज की फोटों का कोई वहम नहीं होगा। परन्तु धूप बत्ती नहीं करनी अर्थात उनकी पूजा निशिद्ध है।3. मकान में प्रवेश करते, समय दायें हाथ पर मकान के अन्त में एक अन्धेरी कोठरी प्राय: हुआ करती है जिसमें एक दरवाजा ही होता है प्रकाश/हवा जाने का कोई रास्ता नहीं (रोशनदान) नहीं होता। यदि उस काठरी में प्रकाश के लिए रोशनदान या छत्त में रोशन दान निकाल लिया जावे तो व वंश बरबाद हो जायेगा क्योंकि अंधेरी कोठरी शनि है और प्रकाश सूर्य है अत: दोनो टकरवा से स्त्री सुख नष्ट धन सम्पति नष्ट हो जाती है। यदि किसी कारण उसकी छत बदलनी पड़ जाये तो पहले उस पर छत डाल दे (ऊंची छत) फिर वह छत बदल लें।4. मकान में प्राय: कई बार दीवारों में आले (गुप्त स्थान) रख लिया करते थे, उन्हे खाली न रखें। यदि घर में जेवरों, नकदी के लिए छुपे हुए गड्डे बने हो तथा अब उन में कीमती चीजे न रखी हों तो 'खाली बुध` बोलेगा यानि मालिक या जातक केवल खाली बात करेगा या तो उन्हें बन्द कर दें या उनमें बादाम, छुआरे आदि रख दें, चाहे दूध ही हो।5 मकान के फर्श में यदि कच्चा हिस्सा बिल्कुल न हो तो शुक्र का फल नीच होता है। स्त्रियों की सेहत ठीक नहीं रहती, धन सम्पत्ति भी नहीं टिकेगी। यदि किसी कारण फर्श कच्चा न रखा जा सके तो उस घर में शुक्र की चीजें, खेती बाड़ी या बसाती का सामान, लाल ज्वार, दही या हीरा आदि रख ले अथवा किसी मिट्टी के गमले में मिट्टी ही डालकर रख लें। इस ग्रहस्थ स्त्रियों का मान, सेहत तथा धन सुरक्षित होगा।6 दक्षिण में मुख्य द्वारा वाला मकान स्त्रियों के लिए विशेष रूप से मनहुस होता है, उसमें पुरूष (रन्डवों को छोड़कर) भी कोई विशेष सुख नहीं भोगते। अत: मुख्य द्वार दक्षिण से हटाकर किसी और दिशा में पूर्व, पश्चिम में कर लें। यदि न हटा सके तो उसके उपर के भाग में ताम्बें का पतरा, ताम्बे की कीलों से गड़वा दें।

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