Lal Kitab's central theme is to diagnose problems by studying the chart of a person and providing simplistic solutions to him.The entire system is created solely to relieve people from there problems.The lal kitab is based on Samudrik shastra and jyotish gyan.
Saturday, July 26, 2008
ग्रह का असर मकान पर
ग्रह का असर मकान पर जन्म कुण्डली के अनुसार खाना न. 1 से 9 के ग्रह अपना अपना असर मकान में दाखिल होते समय दाये हाथ की दिशा का 10 से 12 खानों में बैठे ग्रह मकान के बाये तरफ अपना असर दिखाते हैं। खाना न. 2 मकान की हालत तथा खाना न. 7 मकान का सुख दुख बताता है।उदाहरण - यदि शनि 4 और सूर्य 2 तो मकान में दखिल होतो हुए दाये हाथ की छतों के हिसाब से दूसरी कोठरी में सूर्य (अनाज, गुड या दिखावे की धूप) आदि तथा बायें हाथ के चौथे न. की कोठरी में शनि (सन्दूक, लोहा, लकड़ी) होगी। आगर जातक का कोई चाचा हो तो उस की मृत्यु शनि वाले कमरे में निश्चित। इसी प्रकार खाना न. 2 में सूर्य सम्बन्धित कार्य का, खाना 5 में खाली से बीमार का रात को पानी मांगते ही समय व्यतीत होगा।वर्षफल के हिसाब से शनि अब राहु, केतु के सम्बन्ध से नेक स्वभाव का हो और दृष्टि के हिसाब से या वैसे ही राहु केतु के साथ बैठा हो तो मकान ही मकान बनवाये लेकिन जब केवल राहु, केतु के साथ हो तो मकान बर्बाद और गिरवा देगा। पुष्य नक्षत्र से शुरू कर इसी नक्षत्र में पूर्ण किया मकान अति उत्तम होता है तथा पूर्ण होने पर मकान की प्रतिष्ठाा पर खैरात करना अति आवश्यक है।विशेष : मकान की बुनियाद रखने से पहले तह जमीन के ईद गिर्द हाशिया डाल कर उस के बीचोबीच चन्द्र की चीजों से भरा बर्तन 40-43 दिन तक दबा कर खानदानी नेक परिणाम देख लेना आवश्यक क्योंकि बर्तन दबाने के दिन से शुरू करके जन्म कुण्डली में शनि होने के घर न. के दिन तक शनि अपना अच्छा या बुरा असर जरूर दिखाएगा। मंदा असर यानि बीमारी, मुकदमा, झगड़ा या कोई और लानत) जाहिर होते ही वह बर्तन निकाल कर चलते पानी (नदी या नाले) में गिरा दे या बहा दें। गंदा असर बन्द होगा। इस जगह मकान बनाना जातक के लिए उचित नहीं यानि खानदान की बर्बादी होगी। मकान की नींच डालने के दिन से 3 या 18 साल के समय में मकान अपना असर जरूर डलेगा।मकान कैसा हो
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